पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग (SEC) को निर्देश दिया है कि 14 दिसंबर को होने वाले ज़िला परिषद और पंचायत समिति चुनावों में तैनात सभी पुलिसकर्मियों को तुरंत आदेश जारी किए जाएं कि वे पूरी तरह निष्पक्ष रहकर अपनी ड्यूटी निभाएं। अदालत ने कहा कि पक्षपात का सिर्फ़ आभास भी चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकता है।
यह आदेश अकाली दल नेता दलजीत सिंह चीमा और कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद गुरुवार को जारी हुआ। चीमा ने राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की थी, जबकि बाजवा ने नामांकन की अंतिम तिथि (4 दिसंबर) बढ़ाने की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि विपक्षी उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से रोकने के लिए “डराने-धमकाने और व्यवस्थित अवरोध” पैदा किए गए।
सोशल मीडिया पर एक कथित ऑडियो क्लिप सामने आने के बाद यह विवाद बढ़ा। शिरोमणि अकाली दल (SAD) अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने दावा किया था कि पटियाला SSP वरुण शर्मा और अन्य अधिकारी कथित तौर पर सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के इशारे पर विपक्षी उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से रोकने की साज़िश करते सुने गए।
मामले की सुनवाई बुधवार को हुई और आदेश गुरुवार को जारी किया गया।
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति संजीव बेरी की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि आयोग को किसी भी पक्षपात की आशंका को तुरंत खत्म करने के लिए “सक्रिय भूमिका” निभानी चाहिए थी।
अदालत ने कहा,
“बेहतर होता कि आयोग शिकायतकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत ऑडियो-वीडियो सामग्री की जांच ऐसे निष्पक्ष एजेंसी को सौंपता जो पंजाब सरकार के नियंत्रण में न हो।”
पीठ ने यह भी कहा कि जांच पूरी होने तक आयोग को पटियाला SSP को चुनावी ड्यूटी से हटा देना चाहिए था।
सुनवाई के दौरान SEC ने बताया कि ऑडियो क्लिप को पंजाब की फॉरेंसिक लैब भेजा गया है और एक ADGP-स्तरीय अधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित कर दी गई है, जो SSP शर्मा के आचरण से जुड़ी शिकायतों की जांच करेगी।
आयोग ने अदालत को यह भी सूचित किया कि SSP शर्मा को 10 दिसंबर से छह दिनों का अवकाश sanction किया गया है और संगरूर SSP सरताज सिंह चहल को पटियाला का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
अदालत ने कहा,
“हम राज्य चुनाव आयोग की उस कार्रवाई की सराहना करते हैं जिसमें SSP, पटियाला को चुनाव समाप्त होने तक अवकाश पर भेजा गया है।”
अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 243-K के तहत पंचायत चुनावों का संचालन SEC का दायित्व है, इसलिए आयोग को हर कदम पर पूर्ण निष्पक्षता दिखानी होगी।
आदेश में कहा गया,
“आयोग का आचरण ऐसा नहीं होना चाहिए जिससे किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल के पक्ष में होने का आभास मिले। उसके सभी कदम वास्तव में भी निष्पक्ष हों और प्रतीत भी हों।”
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अदालत ने सख्त निर्देश दिया:
“ज़िला परिषद और ब्लॉक समिति चुनावों को निष्पक्ष रूप से सम्पन्न कराने के लिए राज्य चुनाव आयोग सभी SHOs और चुनाव ड्यूटी में लगे पुलिसकर्मियों को तुरंत निर्देश जारी करे कि वे पूरी तरह गैर-पक्षपातपूर्ण आचरण करें और ऐसे किसी भी कार्य से बचें जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की अवधारणा को नुकसान पहुंचाए।”
अदालत ने उम्मीद जताई कि यह निर्देश “तुरंत” जारी किया जाएगा।
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि SEC की निगरानी में हो रही जांच पूरी तरह स्वतंत्र रूप से और किसी भी बाहरी दबाव से मुक्त होकर की जानी चाहिए।
मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी।

