पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार को शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। यह मामला कथित रूप से 540 करोड़ रुपये की ‘ड्रग मनी’ को अलग-अलग माध्यमों से ठिकाने लगाने और अवैध संपत्ति अर्जित करने से जुड़ा है।
न्यायमूर्ति त्रिभुवन दहिया की अदालत ने जमानत देने से इनकार किया। विशेष लोक अभियोजक फेरी सोफट ने मीडिया को बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने मजीठिया की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। मजीठिया को पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने 25 जून को गिरफ्तार किया था और वे इस समय पटियाला की न्यू नाभा जेल में बंद हैं।
एफआईआर के अनुसार, प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि 540 करोड़ रुपये से अधिक की ड्रग से अर्जित राशि को कई तरीकों से मनी-लॉन्ड्रिंग के जरिए आगे बढ़ाया गया और इसमें मजीठिया की भूमिका होने का आरोप है। विजिलेंस ब्यूरो इस मामले में 40,000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल कर चुका है।
इससे पहले मोहाली कोर्ट भी उनकी जमानत याचिका ठुकरा चुका है। मजीठिया ने इन आरोपों को “राजनीतिक प्रतिशोध और बदले की कार्रवाई” बताया है और दावा किया है कि आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार की आलोचना करने के कारण उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।
वर्ष 2021 में मजीठिया के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया गया था, जो 2018 में एंटी-ड्रग स्पेशल टास्क फोर्स की रिपोर्ट के आधार पर की गई कार्रवाई थी। इस नई जांच में उनकी कथित अवैध संपत्ति और ड्रग नेटवर्क से जुड़े धन स्रोतों की पड़ताल की जा रही है।

