पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 42 नगर निगम परिषदों और समितियों के चुनाव कराने में पंजाब सरकार की देरी पर सवाल उठाए, जिनका कार्यकाल काफी पहले ही समाप्त हो चुका है। कोर्ट की यह जांच ऐसे समय में की गई है, जब इन चुनावों को स्थगित करने को उचित ठहराने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोई अंतरिम आदेश मौजूद नहीं है।
मलेरकोटला निवासी बेअंत सिंह ने जनहित याचिका दायर कर हाईकोर्ट को बताया कि कई महीने पहले कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद 42 नगर निगमों के चुनाव नहीं हुए हैं, जिससे इन इलाकों में विकास कार्य ठप हो गए हैं। इनमें से अधिकांश नगर निगमों का कार्यकाल दिसंबर 2022 में समाप्त हो गया था।
संविधान के अनुसार नगर निगमों के लिए उनके मौजूदा कार्यकाल की समाप्ति से पहले चुनाव कराना अनिवार्य है। हालांकि, स्थानीय सरकार ने इस आदेश को गंभीरता से नहीं लिया। हालांकि स्थानीय निकाय विभाग ने 1 अगस्त 2023 को एक अधिसूचना जारी कर 1 नवंबर को चुनाव कराने की बात कही थी, लेकिन अभी तक चुनाव नहीं हुए हैं।
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याचिकाकर्ता ने चुनाव कराने के लिए सरकार को कानूनी नोटिस भी भेजा था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, जिसके चलते उन्होंने हाईकोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की। सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने संकेत दिया कि इस मामले को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। हालांकि, जब हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव रोकने के लिए कोई अंतरिम आदेश जारी किया है, तो सरकार का जवाब नकारात्मक था, जिसके चलते हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि चुनाव अभी तक क्यों नहीं कराए गए।