पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यूएपीए मामले में 5.6 साल बाद आरोपी को दी जमानत

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को अशिष कुमार नामक आरोपी को ज़मानत दे दी, जिसे अवैध गतिविधियां (निषेध) अधिनियम (UAPA) के तहत दर्ज मामले में 5 साल 6 महीने से अधिक समय से हिरासत में रखा गया था। अदालत ने कहा कि मुकदमे में अत्यधिक देरी और पर्याप्त सबूतों के अभाव के चलते आरोपी को ज़मानत दी जा रही है।

न्यायमूर्ति दीपक सिब्बल और न्यायमूर्ति लापिता बनर्जी की खंडपीठ ने कहा कि अब तक 40 गवाहों में से केवल एक की ही गवाही दर्ज की गई है। अदालत ने टिप्पणी की कि मुकदमे की धीमी गति ने मामले को प्रभावित किया है और “अदालत के पास आरोपी को जमानत देने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा।”

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के बीच प्रदर्शनकारी डॉक्टरों से काम पर लौटने को कहा

पीठ ने जांच में गंभीर लापरवाही का उल्लेख करते हुए कहा कि फरवरी 2020 में दर्ज एफआईआर के मुख्य सह-आरोपी को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है, जबकि चालान मार्च 2021 में ही पेश किया जा चुका था। इतना ही नहीं, तिहाड़ जेल में सज़ा काट रहे मुख्य आरोपी से पूछताछ का भी कोई प्रयास नहीं किया गया।

Video thumbnail

पीठ ने कहा, “इस बात का कोई उचित कारण राज्य की ओर से नहीं दिया गया कि मुख्य सह-आरोपी को क्यों गिरफ्तार नहीं किया गया और अब तक उसकी हिरासत में पूछताछ क्यों नहीं की गई।”

अशिष कुमार पर आरोप था कि उसने अपने साथियों को हत्या, डकैती, लूट और रंगदारी जैसे अपराधों को अंजाम देने के लिए अवैध हथियार उपलब्ध कराए। लेकिन अदालत ने पाया कि उसकी गिरफ्तारी केवल एक पुलिस अधिकारी द्वारा दी गई गुप्त सूचना के आधार पर हुई थी और अब तक केवल संयोगवश मिले गवाहों के बयान ही प्रस्तुत किए गए हैं।

READ ALSO   Punjab & Haryana HC Defers Hearing on Bikram Majithia's Plea Against Remand in DA Case to July 8

अदालत ने कहा, “आरोपी को अपराध से जोड़ने के लिए कोई कड़ी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं की गई है, खासकर ऐसा अपराध जो यूएपीए के दायरे में आता हो। मौके के गवाहों के बयानों के अलावा राज्य वकील कोई और ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं कर पाए।”

यह मामला 5 फरवरी 2020 को मोहाली में दर्ज हुआ था। अप्रैल 2023 में भारतीय दंड संहिता, शस्त्र अधिनियम और यूएपीए के तहत आरोप तय किए गए थे। अशिष ने 8 जनवरी 2024 को मोहाली की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा उसकी ज़मानत अर्जी खारिज करने के आदेश को चुनौती दी थी।

READ ALSO  Allahabad HC की टिप्पणी- मिड डे मील रसोइयों को न्यूनतम वेतन से कम पेमैंट नही कर सकती सरकार
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles