उत्तरप्रदेश—- चर्म उधोग नगरी कानपुर में पुलिस की घोर लापरवाही उजागर हुई है। एक हत्या के 42 साल पुराने मुकदमे में केस डायरी नदारद है,पुलिस का कोई गवाह नही,दोबारा बयान में वादी भी मुकर गया। इसके बावजूद मात्र एक आई विटनेस (चश्मदीद) की गवाही और वादी के पहले दिए हुए बयान के आधार पर कोर्ट ने तीन अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
अपर जिला जज सैफ अहमद ने मामूली विवाद में 42 साल पहले चचेरे भाई की हत्या में दो भाइयों सहित तीन को उम्रकैद की सजा के साथ 10 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट की सुनवाई के दौरान एक अभियुक्त की मौत भी हो चुकी है।
बिधनू थाना क्षेत्र के फत्तेपुर गोही निवासी जालिम सिंह के घर के सामने उसके चाचा अनूप सिंह अपने मवेशी बांधते थे। इसी बात को लेकर उन दोनों के मध्य कई बार झड़प हुई। 6 सितंबर 1978 की देर शाम जालिम गांव के ही रहने वाले सौखी सिंह के साथ दंगल देखकर लौट रहा था। तभी घात लगाए बैठे चाचा अनूप, और उनके पुत्र रामबहादुर, रामेश्वर सिंह व जयनारायण सिंह ने उन पर हमला बोल दिया।
रामेश्वर ने फायरिंग कर दी जिससे जालिम सिंह घायल हो गए। आनन फानन में उन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जालिम के पिता नंदलाल और भाई रमेश ने चारों आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी।