राजधानी—- दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि उम्मीदवार की पदोन्नति पात्रता की तारीख से प्रभावी होगी। न कि यूजीसी विनियमों द्वारा संचालित कैरियर एडवांसमेंट स्किम के मुताबिक साक्षात्कार तारीख से प्रभावी होंगे।
डॉ किरण गुप्ता, मंजू अरोरा और प्रो पीबी पंकजा की तरफ से दाखिल याचिकाओं में अपील की गई थी कि पात्रता की तिथि से प्रभावी होने के साथ प्रोफेसर के पद से प्रोफेसर के पद पर पदोन्नति की मांग की गई थी। न कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के विधि संकाय द्वारा साक्षात्कार की तारीख से प्रभावी होंगी।
हाई कोर्ट के जस्टिस वी कामेश्वर राव की एकल पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध स्पष्ट पक्षपात प्रदर्शित किया गया। आगे कहा कि उनकी पदोन्नति पात्रता की उनकी तिथि से संबंधित होगी।
कोर्ट ने कहा कि कोई विवाद नही है कि याचिकाकर्ताओं के मामले को (CAS) 2010 के तहत माना गया था। जिसमे चयन प्रक्रिया उप खंड 6,3,12 के तहत निर्धारित की गई थी।
कोर्ट ने दर्ज किया कि याचिकाकर्ताओं को पदोन्नति के लिए फिट माना गया था। तदानुसार पदोन्नति को पात्रता की न्यूनतम अवधि की तारीख से संबंधित होना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि उप खंड (ग) में विचार किया है कि अगर कोई उम्मीदवार पहले मूल्यांकन में सफल नही हुआ है। लेकिन बाद के मूल्यांकन में सफल रहा है तो उसकी पदोन्नति को सफल मूल्यांकन के बाद कि तारीख से माना जायेगा। हालांकि मौजूदा मामले में चयन समिति का कोई निष्कर्ष नही निकला की याचिकाकर्ताओं को उनकी पात्रता की तारीख से फिट नही पाया गया था।
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जस्टिस राव ने उस प्रतिवादी के तर्क को भी खारिज कर दिया जिसमे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस के मामले पर भरोसा किया था। कि चयन समिति को इसके निष्कर्ष के लिए कारण देना आवश्यक नही है। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने उन मामलों में ऐसा फैसला दिया था। जहां नियम ऐसे तर्क के लिए चिंतन नही करते हैं।
कोर्ट ने चयन समिति की कार्यवाही को खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं की पदोन्नति को उनकी पात्रता के लिए वापस रखा जाएगा।