रेणुकास्वामी हत्याकांड: अभिनेत्री पवित्रा गौड़ा की पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की; अभिनेता दर्शन व अन्य आरोपियों की ज़मानत रद्द करने का आदेश बरकरार

सुप्रीम कोर्ट ने अभिनेत्री पवित्रा गौड़ा की उस पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने अदालत के 14 अगस्त 2025 के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की थी। उस फैसले में शीर्ष अदालत ने अभिनेता दर्शन, गौड़ा और अन्य आरोपियों को कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा दी गई ज़मानत को रद्द कर दिया था।

न्यायमूर्तिजे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने यह याचिका इन-चैंबर में विचाराधीन रखी और पाया कि पुनर्विचार का कोई आधार नहीं बनता। आदेश में कहा गया—
“हमने रिकॉर्ड और आदेश को ध्यानपूर्वक देखा है। हमारे विचार में पुनर्विचार का कोई मामला नहीं बनता। अतः पुनर्विचार याचिकाएं खारिज की जाती हैं।”
पीठ ने इस मामले की ओपन कोर्ट में सुनवाई की मांग को भी अस्वीकार कर दिया।

यह मामला 33 वर्षीय रेणुकास्वामी की हत्या से जुड़ा है, जो कथित तौर पर पवित्रा गौड़ा को आपत्तिजनक संदेश भेजने का आरोपी था। पुलिस के अनुसार, दर्शन, गौड़ा और अन्य लोगों ने जून 2024 में पीड़ित को बेंगलुरु के एक शेड में तीन दिनों तक बंधक बनाकर यातनाएं दीं और बाद में उसका शव नाले से बरामद हुआ।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने 13 दिसंबर 2024 को दर्शन और अन्य आरोपियों को ज़मानत दी थी। राज्य सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त 2025 को ज़मानत रद्द कर दी थी।

अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि भारत का संविधान अनुच्छेद 14 के तहत सभी नागरिकों के लिए समानता सुनिश्चित करता है, और कोई भी व्यक्ति — चाहे वह कितना भी धनवान, प्रभावशाली या प्रसिद्ध क्यों न हो — कानून से ऊपर नहीं है। अदालत ने यह भी कहा था कि “लोकतंत्र में शासन कानून के अधीन है, और किसी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति या प्रसिद्धि उसे जवाबदेही से मुक्त नहीं कर सकती।”

READ ALSO  इलाहाबाद HC ने लखीमपुर हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को दी जमानत- जानिए विस्तार से

सुप्रीम कोर्ट द्वारा पवित्रा गौड़ा की पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने के साथ ही अभिनेता दर्शन और अन्य आरोपियों की ज़मानत रद्द करने वाला आदेश बरकरार रहेगा, और अब वे इस मामले में बिना ज़मानत के मुकदमे का सामना करेंगे।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles