दिल्ली हाईकोर्ट में पार्लियामेंट सुरक्षा उल्लंघन मामले की सुनवाई: पुलिस ने बताया – 2001 के हमले की यादें ताज़ा करना था मकसद

दिल्ली हाईकोर्ट में एक अहम सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले (13 दिसंबर 2023) में गिरफ्तार आरोपियों के इरादों को लेकर सनसनीखेज खुलासा किया है। पुलिस ने बताया कि इस घटना के पीछे का मकसद 2001 के संसद हमले की “दर्दनाक यादों को ताज़ा करना” था।

यह बयान आरोपी नीलम आज़ाद की ज़मानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। वह इस मामले में गिरफ्तार की गई एकमात्र महिला हैं। पुलिस ने उनकी जमानत का विरोध करते हुए इसे एक सुनियोजित आतंकवादी हमला करार दिया। यह सुनवाई न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ के समक्ष हुई, जिन्होंने मामले को अगली सुनवाई तक स्थगित कर दिया।

पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य आरोपी मनोरेंजन डी और उसके साथियों ने यह हमला विशेष रूप से संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान करने की योजना बनाई थी, जब संसद 2001 के हमले की बरसी पर मौन रखती है। इस योजना के तहत नए संसद भवन को निशाना बनाया गया, जिसे “पुनरुत्थानशील और सशक्त भारत” का प्रतीक माना जाता है।

Video thumbnail

जांच में खुलासा हुआ है कि इस हमले की योजना वर्ष 2015 से ही बन रही थी। आरोपियों ने शहीद भगत सिंह और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसी महान हस्तियों की छवियों का प्रयोग कर अपने कृत्यों को देशभक्ति का जामा पहनाने की कोशिश की, लेकिन पूछताछ में सामने आया कि वे इन ऐतिहासिक व्यक्तित्वों की विचारधारा को सही तरीके से समझते तक नहीं थे।

READ ALSO  हाई कोर्ट ने परिवहन निगम की बसों के रखरखाव, पुराने वाहनों को स्क्रैप करने के नियमों पर निर्देश जारी किए

घटना के दिन संसद परिसर में अफरा-तफरी मच गई थी। कुछ आरोपियों ने लोकसभा कक्ष में छलांग लगाई और पीले रंग का धुंआ छोड़ा, जबकि अन्य ने संसद भवन के बाहर उत्पात मचाया। यह सब कुछ जानबूझकर 2001 के हमले की तारीख के आसपास किया गया।

पुलिस ने कोर्ट को बताया कि भले ही आरोपियों के पास कोई विस्फोटक नहीं मिला, लेकिन उनकी गतिविधियों की गंभीरता को देखते हुए मामले को हल्के में नहीं लिया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि नीलम आज़ाद की ओर से दायर की गई ज़मानत याचिका में देर हुई है, जो राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अधिनियम के प्रावधानों के खिलाफ है और इसलिए यह याचिका विचार योग्य नहीं है।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट भारत के सरोगेसी कानूनों में आयु प्रतिबंधों की समीक्षा करेगा

वहीं, बचाव पक्ष ने आज़ाद की ओर से दलील दी कि वह मुख्य घटनास्थल पर मौजूद नहीं थीं, उनके पास कोई विस्फोटक नहीं था, और उन्हें बाहर ही तैनात किया गया था। इसके अलावा, वित्तीय परेशानियों और संसाधनों की कमी के चलते याचिका दायर करने में देरी हुई।

निचली अदालत पहले ही उनकी जमानत याचिका खारिज कर चुकी है, यह मानते हुए कि आज़ाद और उनके साथियों को संसद पर संभावित आतंकी हमले की जानकारी थी और उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने कैश-फॉर-जॉब घोटाले में पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर सुनवाई स्थगित की
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles