पारिवारिक न्यायालय परामर्शदाताओं के लिए लिंग संवेदीकरण पर एकदिवसीय कार्यशाला आयोजित

“लिंग संवेदीकरण” पर एक दिवसीय कार्यशाला दिनांक 14 दिसम्बर, 2025 को न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, उत्तर प्रदेश में, पारिवारिक न्यायालय मामलों की संवेदनशीलता के लिए माननीय समिति, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देशन में आयोजित की गई। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए पारिवारिक न्यायालय परामर्शदाताओं ने इस कार्यक्रम में भाग लिया, जिसे एक अत्यंत सहभागितापूर्ण एवं संवादात्मक प्रशिक्षण अनुभव के रूप में तैयार किया गया था।

इस कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों की लिंग की अवधारणा को एक सामाजिक संरचना के रूप में समझ को गहरा करना, प्रचलित रूढ़ियों की पहचान कराना, तथा यह जागरूकता विकसित करना था कि लिंग आधारित धारणाएँ कैसे व्यक्तिगत व्यवहार तथा व्यावसायिक कार्यप्रणाली दोनों में प्रभाव डालती हैं। समग्र लक्ष्य यह था कि प्रतिभागी विचारशील दृष्टिकोण अपनाएँ और पारिवारिक न्यायालय काउंसलिंग के ढांचे में समानता, निष्पक्षता एवं पूर्वाग्रह-रहित कार्यप्रणाली को बढ़ावा दें।

Director, JTRI and GenSen Committee, Lucknow University lighting the lamp
निदेशक, जे०टी०आर०आई० तथा जेन-सेन समिति, लखनऊ विश्वविद्यालय दीप प्रज्जवलित करते हुए

कार्यक्रम का शुभारंभ न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, उत्तर प्रदेश की निदेशक सुश्री रेखा अग्निहोत्री द्वारा संबोधित उद्घाटन सत्र से हुआ। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि लैंगिक संवेदनशीलता एक व्यापक और समावेशी अवधारणा है, जिसकी प्रेरणा मानवता के प्रति संवेदनशीलता से मिलती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि लैंगिक संवेदनशीलता का अर्थ पुरुषों और महिलाओं—दोनों के प्रति संवेदनशील होना है।

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उन्होंने वैवाहिक विवादों के प्रारंभिक चरणों में परामर्शदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे मामलों में कार्य करते समय उन्हें लैंगिक मुद्दों के प्रति विशेष संवेदनशीलता के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि परामर्श की प्रक्रिया के दौरान सभी व्यक्तियों की गरिमा और समानता सुनिश्चित करने हेतु गहराई से जमी हुई पूर्वाग्रहों और रूढ़िवादी सोच की पहचान करना तथा उन्हें दूर करना आवश्यक है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह कार्यशाला प्रतिभागियों को अपने दैनिक कार्यों में लैंगिक-संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने और उसे व्यवहार में उतारने के लिए प्रेरित करेगी।

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Km. Rekha Agnohotri, Director, Judicial Training & Research Institute addressing the participants
कु० रेखा अग्निहोत्री, निदेशक, न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संसथान प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए

शैक्षणिक सत्र प्रो. रोली मिश्रा, डॉ. प्रशांत शुक्ला और डॉ. सोनाली रॉय चौधरी द्वारा संचालित किए गए, जो लखनऊ विश्वविद्यालय के जेंडर सेंसिटाइजेशन (GenSen) प्रकोष्ठ से संबद्ध हैं। प्रशिक्षण संरचना में चर्चा, समूह गतिविधियाँ और आत्म-चिंतन आधारित अभ्यास शामिल थे, जिनके माध्यम से परामर्शदाताओं को अपनी धारणाओं एवं दृष्टिकोणों पर पुनर्विचार का अवसर मिला।

“समाज में लिंग (पितृसत्ता और रूढ़ियाँ)” विषय पर अपने सत्र में प्रो. रोली मिश्रा ने यह समझाया कि सामाजिक ढांचे, संस्थाएँ और अंतर्वैयक्तिक अनुभव किस प्रकार लिंग भूमिकाओं को आकार देते हैं। उन्होंने प्रचलित रूढ़ियों, उनके घरेलू और पेशेवर संदर्भों में प्रभाव, तथा अवचेतन पूर्वाग्रहों की पहचान और उनके प्रतिकार के तरीकों पर विस्तार से चर्चा की।

डॉ. प्रशांत शुक्ला ने “प्राचीन भारत में लिंग संवेदीकरण” विषय पर अपनी प्रस्तुति में पितृसत्ता की ऐतिहासिक जड़ों और उसके सामाजिक तथा कानूनी संरचनाओं पर पड़े निरंतर प्रभावों की व्याख्या की। ऐतिहासिक प्रवृत्तियों का विश्लेषण करते हुए, उन्होंने प्रतिभागियों को यह समझने के लिए प्रेरित किया कि शक्ति-संरचनाएँ कैसे समय के साथ बनी रहती हैं और संवेदनशील विवाद-निवारण में लगे परामर्शदाताओं के लिए इनका आलोचनात्मक अध्ययन क्यों आवश्यक है।

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“वैवाहिक विवादों की प्रकृति और उनके कानूनी परिप्रेक्ष्य में उपाय” विषय पर अपने सत्र में डॉ. सोनाली रॉय चौधरी ने पारिवारिक न्यायालय में अक्सर उत्पन्न होने वाले विवादों की प्रकृति, उनमें निहित सामाजिक एवं लिंग-संबंधी पहलुओं, तथा वर्तमान कानून के तहत उपलब्ध विधिक उपायों पर विस्तृत जानकारी साझा की। उनका सत्र काउंसलिंग और न्यायालयीय कार्यप्रणाली के संदर्भ में अत्यंत उपयोगी रहा।

Family Court Counsellors attending the Workshop
परिवार न्यायालय परामर्शदाता कार्यशाला में प्रतिभाग करते हुए

कार्यशाला का समापन समापन-सत्र के साथ हुआ, जिसके उपरांत प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए।

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