इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में स्थित अवध बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति ने एक आपात बैठक में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा माननीय न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने की सिफारिश का कड़ा विरोध किया है।
यह प्रस्ताव आज दोपहर 1:30 बजे एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री आर.डी. शाही की अध्यक्षता में और महासचिव श्री मनोज कुमार द्विवेदी द्वारा आहूत बैठक में पारित किया गया। समिति ने इस स्थानांतरण प्रस्ताव को लेकर गहरा आक्रोश व्यक्त करते हुए इसे बार की भावनाओं का अपमान बताया।
एसोसिएशन ने एक तीव्र शब्दों वाले वक्तव्य में कहा:
“ऐसे मामलों में पूर्व के अनुभव यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हैं कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय को कचरे का डिब्बा बना दिया गया है। अवध बार एसोसिएशन, उच्च न्यायालय, लखनऊ इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा।”

एसोसिएशन ने कॉलेजियम की सिफारिश की निंदा करते हुए केंद्र सरकार से इसे वापस भेजने की अपील की है। प्रस्ताव में यह भी मांग की गई है कि न्यायमूर्ति वर्मा को उत्तर प्रदेश के किसी भी उच्च न्यायालय, विशेषकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय, में न भेजा जाए और उन्हें दिल्ली में ही बनाए रखा जाए।
इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए एसोसिएशन ने न्यायमूर्ति वर्मा के विरुद्ध महाभियोग की मांग की, ताकि “न्यायपालिका में जनता के विश्वास को और नुकसान पहुँचने से रोका जा सके।”
प्रस्ताव में यह भी उल्लेख किया गया कि अवध बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने देश भर के 22 उच्च न्यायालयों की बार एसोसिएशनों के अध्यक्षों से इस मुद्दे पर चर्चा की है, और अब यह मामला केंद्र सरकार और भारत के प्रधान न्यायाधीश के समक्ष उठाया जाएगा।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के साथ एकजुटता दिखाते हुए, अवध बार एसोसिएशन ने 28 मार्च 2025 (शुक्रवार) को न्यायिक कार्य से सांकेतिक बहिष्कार का निर्णय लिया है। साथ ही अन्य बार एसोसिएशनों से भी अपील की गई है कि वे इस स्थानांतरण के क्रियान्वयन की स्थिति में न्यायमूर्ति वर्मा की अदालत का अनिश्चितकालीन बहिष्कार करें और अपना विरोध दर्ज कराएं।