जम्मूकश्मीर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला का निकाह विवाद दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष लंबित है, ऐसा इसलिए है कि उनकी पत्नी पायल अब्दुल्ला के पक्षकार अधिवक्ता ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई को लेकर सहमति नही दी है। इसलिए उमर अब्दुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने याचिका दाखिल कर दिल्ली हाई कोर्ट के उस सर्कुलर को चैलेंज किया है । जिसमे कहा गया है दूरस्थ माध्यम होने के कारण दोनों पक्षों की सहमति आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट ने उमर अब्दुल्ला की याचिका पर सुनवाई की सहमति जताते हुए सीजेआई एस ए बोवड़े और जस्टिस एएस बोपन्ना एंव वी राम सुब्रमण्यम की पीठ ने दिल्ली हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उमर अब्दुल्ला की याचिका पर जल्द सुनावई करने से स्पष्ट इनकार करते हुए कहा है कि इसे उचित वक्त पर ही सुना जाएगा। अब्दुल्ला की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा है कि वैवाहिक मसले में अन्य पक्ष अंतिम सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के लिए जल्द सहमत नही है। उन्होंने दलील दी है कि दूसरा पक्ष ट्रायल कोर्ट के समक्ष कार्यवाही में मौजूद हुआ है।
Also Read
इस पर पीठ ने प्रतिक्रिया देते हुए अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि क्या हम किसी को सहमति देने के लिए मजबूर कर सकते हैं? साथ ही सुनवाई को दो हफ्तों के बाद तक टाल दिया गया है। बीते वर्ष 3 नवंबर को दिल्ली हाई कोर्ट 26 अप्रैल 2020 के सर्कुलर को चुनौती देते हुए उमर अब्दुल्ला की याचिका को खारिज कर दिया था।
उमर अब्दुल्ला ने दलील दी कि 2016 के ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ उसकी मेट्रीमोनियल अपील फरवरी 2017 से अभी तक अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नही हुई है। कोरोना महामारी के कारण कोर्ट के प्रतिबंधित कामकाज के दौरान इसे नही लिया गया। क्योंकि उनकी पत्नी पायल अब्दुल्ला ने वर्चुअल कार्यवाही के लिए सहमति नही दी।