इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने स्पष्ट किया है कि वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत कोई भी व्यक्ति वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति से तब तक बेदखल नहीं किया जा सकता जब तक कि गिफ्ट डीड में तय शर्तों का उल्लंघन न हुआ हो।
न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी, न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पूर्ण पीठ ने यह निर्णय ओंकार नाथ गौड़ द्वारा दायर याचिका से उत्पन्न प्रश्नों पर दिए गए रेफरेंस पर सुनवाई करते हुए सुनाया। यह निर्णय बुधवार को सार्वजनिक किया गया।
पीठ ने अपने फैसले में कहा, “इस अदालत को अधिनियम 2007 के किसी भी प्रावधान या नियम में ऐसा कोई संकेत नहीं मिला जिससे यह स्पष्ट हो कि जिला मजिस्ट्रेट या ट्राइब्यूनल को वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति में रहने वाले किसी तीसरे पक्ष या अन्य व्यक्ति को बेदखल करने का विशेष अधिकार दिया गया हो।”

हालांकि, अदालत ने एक अपवाद भी स्पष्ट किया: यदि कोई वरिष्ठ नागरिक या माता-पिता किसी व्यक्ति के नाम गिफ्ट डीड इस शर्त पर करते हैं कि वह उनकी देखभाल करेगा, और बाद में वह व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहता है, तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को बेदखल किया जा सकता है।
फैसले में उत्तर प्रदेश सरकार की ‘सवेरा योजना’ का भी उल्लेख किया गया, जिसके तहत वरिष्ठ नागरिक 112 हेल्पलाइन पर पंजीकरण कराकर किसी भी समय सहायता प्राप्त कर सकते हैं।