एनआईए कोर्ट ने जाली मुद्रा के एक महत्वपूर्ण मामले में अपना फ़ैसला सुनाया है, जिसमें जाली भारतीय मुद्रा नोटों (एफआईसीएन) के प्रचलन में उनकी भूमिका के लिए दो लोगों को सश्रम कारावास की सज़ा सुनाई गई है। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत के असीम सरकार को सात साल की सज़ा मिली, जबकि पश्चिम बंगाल के मालदा के अलादु को पाँच साल की सज़ा सुनाई गई। कोर्ट ने सरकार और अलादु पर क्रमशः 10,000 रुपये और 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया, अगर जुर्माना नहीं भरा जाता है तो तीन महीने की अतिरिक्त सज़ा दी जाएगी।
ये गिरफ़्तारियाँ राजस्व खुफिया निदेशालय द्वारा 2019 में किए गए एक अभियान से जुड़ी हैं, जिसके तहत सरकार के पास से 2,000 रुपये के 99 जाली नोट और 500 रुपये के दो नोट जब्त किए गए, जिनकी कुल कीमत 1,99,000 रुपये थी। अक्टूबर 2019 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मामले को अपने हाथ में ले लिया, जिसके बाद अलादु और उसके एक अन्य साथी फैजुल एसके को गिरफ्तार किया गया, जो पहले से ही पांच साल की सजा काट रहा है।
सरकार और अलादु दोनों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी पाया गया, जिसमें गैरकानूनी लाभ के लिए नकली नोटों की खरीद और प्रसार करने की आपराधिक साजिश में उनकी संलिप्तता पर प्रकाश डाला गया।