लोक गायिका नेहा सिंह राठौर ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले से जुड़ी अपनी एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर दर्ज एफआईआर को रद्द कराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ का रुख किया।
एफआईआर में राठौर पर धार्मिक समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने और देश की एकता को खतरे में डालने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। यह एफआईआर अप्रैल के अंतिम सप्ताह में हजरतगंज थाने में अभय प्रताप सिंह नामक शिकायतकर्ता की ओर से दर्ज कराई गई थी, जिसमें कहा गया कि राठौर ने अपनी पोस्ट के माध्यम से एक विशेष धार्मिक समुदाय को लक्षित किया और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति बी.आर. सिंह की खंडपीठ ने की, जिसने राज्य सरकार की ओर से और समय की मांग को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई की तिथि 12 मई निर्धारित की।

राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता वी.के. शाही और सरकारी वकील वी.के. सिंह ने अदालत को बताया कि नेहा राठौर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के लिए पर्याप्त सामग्री मौजूद है और उन्हें प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है।
नेहा राठौर ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्हें भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत गलत तरीके से फंसाया गया है, जिनमें सांप्रदायिक नफरत फैलाने, सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने और भारत की संप्रभुता एवं अखंडता को खतरे में डालने जैसे अपराध शामिल हैं। उनके खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत भी आरोप लगाए गए हैं।
राठौर का कहना है कि उनकी टिप्पणी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत की गई थी और यह एफआईआर असहमति की आवाज को दबाने के लिए कानूनी प्रावधानों के दुरुपयोग का उदाहरण है।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 12 मई को होगी।