भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंसेज एक्ट, 1985 (एनडीपीएस अधिनियम) के तहत जब्त किए गए वाहनों को, कानूनी शर्तों के तहत, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआर.पी.सी.) के प्रावधानों के अनुसार अस्थायी रूप से रिहा किया जा सकता है। यह फैसला आपराधिक अपील संख्या 87/2025 में आया, जो विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) संख्या 13370/2024 से संबंधित है। मामला एक ट्रक की जब्ती से जुड़ा था, जिसका कथित तौर पर नशीली दवाओं की तस्करी में उपयोग किया गया था।
मामले की पृष्ठभूमि
अपीलकर्ता, बिश्वजीत डे, एक ट्रक मालिक, ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी जिसमें उनके ट्रक की रिहाई से इनकार किया गया था। ट्रक (पंजीकरण संख्या: AS-01-NC-4355) को असम के कार्बी आंगलोंग में एक चेकपॉइंट निरीक्षण के दौरान रोका गया, जहां एक सह-यात्री, मो. डिंपुल, के पास से हेरोइन बरामद की गई। डे का दावा था कि उन्हें मादक पदार्थों के परिवहन की जानकारी नहीं थी।
निचली अदालत और हाईकोर्ट ने एनडीपीएस अधिनियम की कठोर प्रकृति का हवाला देते हुए ट्रक की अस्थायी रिहाई की याचिका खारिज कर दी। इससे आहत होकर, डे ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, अपनी बेगुनाही और ट्रक की रिहाई की मांग करते हुए, जो उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है।
विधिक मुद्दों पर विचार
1. सीआर.पी.सी. के प्रावधानों की लागू क्षमता: कोर्ट ने यह जांचा कि सीआर.पी.सी. की धारा 451 और 457, जो जब्त संपत्ति की अस्थायी रिहाई से संबंधित हैं, क्या एनडीपीएस मामलों में लागू हो सकती हैं।
2. ज्ञान या मिलीभगत का प्रश्न: मुख्य सवाल यह था कि क्या मादक पदार्थों के परिवहन में मालिक की अनभिज्ञता जब्ती को आवश्यक बनाए रखती है।
3. साक्ष्य का संरक्षण: अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि ट्रक मुकदमे के दौरान महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में आवश्यक है।
कोर्ट की टिप्पणियां
न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने अपील स्वीकार करते हुए निम्नलिखित महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं:
1. एनडीपीएस अधिनियम में कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं: कोर्ट ने पाया कि एनडीपीएस अधिनियम में जब्त वाहनों की अस्थायी रिहाई पर कोई स्पष्ट रोक नहीं है। अधिनियम की धारा 51 में सीआर.पी.सी. के प्रावधानों के उपयोग की अनुमति दी गई है, जब तक कि वे एनडीपीएस अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत न हों।
2. असंगत परिणामों की रोकथाम: कोर्ट ने कहा:
“यदि बस या जहाज जैसे वाहन को अज्ञात रूप से मादक पदार्थों के परिवहन के लिए इस्तेमाल किया गया हो, तो मुकदमे की समाप्ति तक इसे जब्त रखना अनावश्यक कठिनाई और संपत्ति के अनावश्यक क्षरण का कारण बन सकता है।”
3. व्यक्तिगत मामलों का आकलन: कोर्ट ने जब्ती के चार संभावित परिदृश्य बताए:
– वाहन में मालिक के साथ मादक पदार्थों की उपस्थिति।
– वाहन चालक जैसे एजेंट के पास मादक पदार्थ।
– चोरी हुए वाहन में मादक पदार्थ।
– तीसरे पक्ष के यात्री के पास मादक पदार्थ, मालिक की अनभिज्ञता के साथ।
पीठ ने अंतिम दो परिदृश्यों में कानूनी शर्तों के तहत अस्थायी रिहाई की अनुमति दी।
4. सार्वजनिक हित और मालिक के अधिकारों का संतुलन: कोर्ट ने कहा कि मुकदमे की अखंडता बनाए रखते हुए, अदालतों को मालिक की आजीविका, वाहन के क्षरण, और परिचालित वाहनों के सामाजिक लाभों पर विचार करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
कोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए ट्रायल कोर्ट को सख्त शर्तों के साथ ट्रक रिहा करने का निर्देश दिया:
– प्रलेखन और वीडियोग्राफी: वाहन का एक विस्तृत विवरण और वीडियोग्राफी सबूत रखा जाए।
– गैर-अंतरणीयता: मालिक मुकदमे की समाप्ति तक वाहन को बेच या हस्तांतरित नहीं कर सकता।
– प्रतिज्ञा पत्र: अपीलकर्ता को यह सुनिश्चित करना होगा कि वाहन मुकदमे के दौरान उपलब्ध हो और, यदि आवश्यक हो, जब्ती के समय इसके मूल्य का मुआवजा दे।