ट्रैफिक चालान और कंपाउंडेबल अपराधों के निपटारे का अंतिम अवसर; दिल्ली में तारीख बदली

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा वर्ष 2025 की अंतिम राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन शनिवार, 13 दिसंबर 2025 को देशभर में किया जा रहा है। यह आयोजन वादी-प्रतिवादियों और वाहन मालिकों के लिए एक सुनहरा अवसर है, जहाँ वे अपने लंबित ट्रैफिक चालान, कंपाउंडेबल (समझौता योग्य) आपराधिक मामलों और दीवानी विवादों का निपटारा आपसी सहमति से और कम जुर्माने पर कर सकते हैं।

हालांकि, एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक अपडेट में, दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DSLSA) ने सूचित किया है कि दिल्ली में राष्ट्रीय लोक अदालत को 10 जनवरी 2026 तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

लोक अदालत का दायरा: ट्रैफिक चालान और कंपाउंडेबल अपराध

आगामी लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य “मामूली अपराधों” (Petty Offences) के भारी बैकलॉग को खत्म करना है। विभिन्न राज्यों में न्यायिक अधिकारी उन मामलों की सुनवाई करेंगे जहाँ कानून समझौते की अनुमति देता है।

ट्रैफिक चालान में बड़ी राहत

ऐसे वाहन मालिक जिनके पास कई ई-चालान पेंडिंग हैं, वे इस लोक अदालत में विशेष राहत की उम्मीद कर सकते हैं। कई राज्यों में अदालतें चालान की प्रकृति और अवधि के आधार पर कुल जुर्माना राशि पर 50% से 100% तक की छूट प्रदान करती हैं।

READ ALSO  'धर्मनिरपेक्षता' भारत के संविधान का अभिन्न अंग है, इसमें पश्चिमी आदर्शों को नहीं दर्शाया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

निपटारे के लिए पात्र अपराध:

  • हेलमेट या सीट बेल्ट के बिना वाहन चलाना।
  • रेड लाइट जंप करना (सिग्नल का उल्लंघन)।
  • गलत पार्किंग या रास्ते में बाधा डालना।
  • ओवर-स्पीडिंग (तय कंपाउंडेबल सीमा के भीतर)।
  • वैध प्रदूषण नियंत्रण (PUC) प्रमाण पत्र के बिना वाहन चलाना।
  • पुराने और लंबित ई-चालान जो अभी तक नियमित कोर्ट समन के चरण में नहीं पहुंचे हैं।

ये मामले शामिल नहीं होंगे

प्राधिकरण ने स्पष्ट किया है कि गंभीर प्रकृति के गैर-कंपाउंडेबल अपराधों (Non-compoundable offences) पर लोक अदालत में विचार नहीं किया जाएगा। इनमें शामिल हैं:

  • शराब पीकर गाड़ी चलाना (Drunk Driving)।
  • हिट-एंड-रन मामले।
  • लापरवाही से गाड़ी चलाना जिससे किसी को चोट या मृत्यु हुई हो।
  • मोटर वाहन अधिनियम या आईपीसी की गैर-कंपाउंडेबल धाराओं से जुड़े अपराध।

दिल्ली क्षेत्राधिकार के लिए महत्वपूर्ण अपडेट

जहाँ पूरे देश में 13 दिसंबर को लोक अदालत की कार्यवाही होगी, वहीं दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DSLSA) ने स्थगन नोटिस जारी किया है।

“दिल्ली हाईकोर्ट के अधीनस्थ न्यायालयों के लिए 13.12.2025 को निर्धारित राष्ट्रीय लोक अदालत को 10.01.2026 (दूसरे शनिवार) के लिए पुनर्निर्धारित किया गया है।”

अतः दिल्ली के वादियों को सलाह दी जाती है कि वे 13 दिसंबर को अदालतों में न जाएं और इसके बजाय 10 जनवरी 2026 के सत्र की तैयारी करें।

READ ALSO  एनआईए कोर्ट ने सचिन वाजे की मेडिकल रिपोर्ट मांगी

निपटान की प्रक्रिया: चालान कैसे जमा करें?

13 दिसंबर को मामलों के सुचारू निपटान के लिए, वाहन मालिकों को निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करने की सलाह दी जाती है:

  1. पेंडिंग चालान की जांच करें: अपने वाहन पर लंबित सभी ई-चालान को सत्यापित करने के लिए परिवहन (Parivahan) पोर्टल या संबंधित राज्य ट्रैफिक पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
  2. चालान की प्रतियां डाउनलोड करें: पेंडिंग चालान का प्रिंटआउट या स्क्रीनशॉट लें।
  3. पंजीकरण/टोकन जनरेशन: कई जिलों में पूर्व-पंजीकरण (Pre-registration) अनिवार्य है। वादियों को सुनवाई के लिए “टोकन” प्राप्त करने हेतु अपने जिला न्यायालय या विधिक सेवा प्राधिकरण की वेबसाइट देखनी चाहिए।
  4. कोर्ट में उपस्थिति: 13 दिसंबर को वाहन मालिक को निर्दिष्ट न्यायालय या ट्रैफिक लोक अदालत स्थल पर भौतिक रूप से उपस्थित होना होगा।
    • आवश्यक दस्तावेज: मूल आरसी (RC), ड्राइविंग लाइसेंस (DL), आईडी प्रूफ (आधार/पैन) और चालान की प्रतियां।
  5. निपटान: पीठासीन मजिस्ट्रेट उल्लंघन की समीक्षा करेंगे और जुर्माना राशि कम करने का प्रस्ताव दे सकते हैं।
  6. भुगतान और समापन: एक बार नकद या यूपीआई (कोर्ट की सुविधाओं के आधार पर) के माध्यम से अंतिम राशि का भुगतान हो जाने पर, एक आधिकारिक लोक अदालत निपटान आदेश जारी किया जाता है। यह आदेश मामले को स्थायी रूप से बंद कर देता है।
READ ALSO  क्या सरकारी सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थानों को शिक्षकों, प्राचार्यों की नियुक्ति का पूर्ण अधिकार है? दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया जवाब

कानूनी वैधता: फैसले के खिलाफ कोई अपील नहीं

यह ध्यान रखना कानूनी रूप से महत्वपूर्ण है कि विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 21 के तहत, लोक अदालत द्वारा पारित पंचाट (Award) को सिविल कोर्ट की डिक्री माना जाता है।

  • अंतिम और बाध्यकारी: यह निर्णय सभी पक्षों पर अंतिम और बाध्यकारी होता है।
  • कोई अपील नहीं: इस फैसले के खिलाफ किसी भी अदालत में कोई अपील नहीं की जा सकती है। एक बार यहाँ चालान का निपटारा हो जाने पर, मामले को दोबारा नहीं खोला जा सकता, जिससे वादियों को पूर्ण कानूनी निश्चितता मिलती है।

यह आयोजन 2025 की आखिरी राष्ट्रीय लोक अदालत है। कानूनी विशेषज्ञों ने भारी जुर्माने या कई लंबित चालान वाले नागरिकों से आग्रह किया है कि वे भविष्य में वाहन जब्त होने या सख्त कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए, न्यूनतम लागत पर कानूनी रूप से अपने बकाया को चुकाने के लिए इस तंत्र का उपयोग करें।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles