मुंबई की एक अदालत ने 1989 में एक व्यवसायी के अपहरण के आरोपी 62 वर्षीय एक व्यक्ति को बरी कर दिया है क्योंकि अभियोजन पक्ष पीड़ित के साथ-साथ मामले के अन्य गवाहों का पता लगाने और उसके खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रहा।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुनील यू हक ने 17 मई को पारित आदेश में आरोपी अभय उसकईकर को सभी आरोपों से बरी कर दिया, जो जमानत पर बाहर था।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने तीन गवाहों का परीक्षण किया था और बार-बार सम्मन जारी करने के बावजूद अभियोजन पक्ष अन्य गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित नहीं कर सका।
उसकईकर 365 (अपहरण) और 392 (लूटपाट) सहित भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय अपराधों के लिए मुकदमे का सामना कर रहा था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, उसकईकर ने हथियारों से लैस तीन अन्य लोगों के साथ अप्रैल 1989 में दक्षिण मुंबई के कोलाबा इलाके से एक कार में व्यवसायी मोहम्मद रजा हुसैन का अपहरण कर लिया और उन्होंने जबरन एक साझेदारी विलेख पर बाद के हस्ताक्षर प्राप्त किए।
मामले में अदालत ने नवंबर 2022 में आरोप तय किए थे और इस साल मार्च में सुनवाई शुरू हुई थी।
अदालत ने कहा कि यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है कि उसकईकर ने तीन फरार आरोपियों के साथ आपराधिक साजिश रची।
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यह दिखाने के लिए भी कोई सबूत नहीं है कि उसकईकर ने फरार आरोपी के साथ साझा इरादे से हुसैन का अपहरण किया और जबरन वसूली की।
अदालत ने कहा, “अभियोजन अन्य गवाहों की उपस्थिति को सुरक्षित नहीं कर सका। मामला काफी पुराना है। मुखबिर (शिकायतकर्ता) और हुसैन दिए गए पते पर नहीं मिले। इसलिए अभियोजन पक्ष के लिए सबूत बंद किए जाते हैं।”
अदालत ने उसे बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष उसकैकर के खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को साबित करने में विफल रहा।
मामले के तीन अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा जारी रहेगा।