मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आपराधिक मामलों की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग पर अंतरिम रोक लगा दी। यह आदेश उन चिंताओं के बाद दिया गया, जिनमें कहा गया था कि हाईकोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग के वीडियो का सोशल मीडिया पर दुरुपयोग हो रहा है।
मुख्य न्यायाधीश संजयव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय साराफ की खंडपीठ ने यह आदेश एक लोकहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि हाईकोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग की सामग्री का दुरुपयोग किया जा रहा है।
अदालत ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, रजिस्ट्रार (आईटी) के साथ ही सोशल मीडिया कंपनियों यूट्यूब और मेटा को नोटिस जारी किए हैं। इनके शिकायत निवारण अधिकारियों सुरज राव और अमृता कौशिक को भी नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है।

यह याचिका अधिवक्ताओं अर्हित तिवारी और विदित शाह ने दायर की थी। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग के वीडियो को काट-छांट कर मीम्स, शॉर्ट्स और अन्य सामग्री के रूप में सोशल मीडिया पर अपलोड किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि इस तरह का दुरुपयोग न केवल न्यायालय की कार्यवाही को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करता है बल्कि हाईकोर्ट की गरिमा और प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुँचाता है।
खंडपीठ ने संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है और अगली सुनवाई तक आपराधिक मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई जवाब दाखिल होने के बाद की जाएगी।