तीन वर्षीय बच्ची की ‘संथारा’ के बाद मौत पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मांगा जवाब, याचिका में बच्चों के जीवन के अधिकार के उल्लंघन का आरोप

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को तीन साल की एक बच्ची की मौत के मामले में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और बच्ची के माता-पिता को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह मामला जैन धर्म की ‘संथारा’ प्रथा के तहत बच्ची के उपवास के बाद हुई मृत्यु से जुड़ा है। अदालत ने 25 अगस्त को अगली सुनवाई तय की है।

यह जनहित याचिका इंदौर के 23 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता प्रांशु जैन द्वारा दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि मानसिक रूप से अस्वस्थ या नाबालिगों को संथारा व्रत दिलवाना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।

READ ALSO  बॉम्बे हाई कोर्ट ने बच्चे पर हमला करने के मामले में मां को जमानत दी, आरोपों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए

याचिकाकर्ता के वकील शुभम शर्मा ने पीटीआई को बताया कि मामला एक गंभीर रूप से बीमार तीन वर्षीय बच्ची को संथारा दिलवाने के आरोप पर केंद्रित है, जो ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित थी। वकील ने कहा, “बच्ची इतनी छोटी थी कि वह इस गंभीर निर्णय को समझने या उसमें सहमति देने में सक्षम नहीं थी।”

Video thumbnail

बच्ची की मौत के बाद, उसके माता-पिता—जो आईटी पेशेवर हैं—ने ‘गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में बच्ची को संथारा लेने वाली सबसे कम उम्र की व्यक्ति के रूप में दर्ज करवाया। इस घटना ने व्यापक जन आक्रोश पैदा किया। माता-पिता ने बाद में कहा कि एक जैन मुनि की प्रेरणा से उन्होंने यह निर्णय लिया क्योंकि बच्ची गंभीर पीड़ा में थी और बीमारी के चलते न तो खा पा रही थी और न पी पा रही थी।

वकील ने बताया कि इस घटना को लेकर संबंधित अधिकारियों से शिकायतें की गईं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद प्रांशु जैन ने हाईकोर्ट का रुख किया।

READ ALSO  केंद्र ने पाँच हाईकोर्ट जजों को बनाया मुख्य न्यायधीश, तेलंगाना के सीजे एससी शर्मा होंगे दिल्ली हाईकोर्ट के सीजे

यह याचिका 2015 में राजस्थान हाईकोर्ट के उस ऐतिहासिक फैसले की पृष्ठभूमि में भी महत्वपूर्ण बनती है, जिसमें संथारा को आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 309 (आत्महत्या का प्रयास) के तहत दंडनीय अपराध घोषित किया गया था। हालांकि, इस निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने बाद में स्थगन लगा दिया था, जिससे संथारा की कानूनी स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।

READ ALSO  प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली हाईकोर्ट में कार्ति चिदंबरम की याचिका का विरोध किया
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles