यहां की एक अदालत ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राकांपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री हसन मुश्रीफ की अग्रिम जमानत अर्जी मंगलवार को खारिज कर दी।
उन्होंने आवेदन में कहा था कि जांच की आड़ में और धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत बयान दर्ज कराने की आड़ में उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तारी की आशंका थी।
कोल्हापुर जिले के कागल विधानसभा क्षेत्र से विधायक मुश्रीफ पिछली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री थे।
ईडी ने दावा किया है कि सर सेनापति संताजी घोरपड़े शुगर फैक्ट्री, जिसमें मुश्रीफ के बेटे नविद, आबिद और साजिद निदेशक या हितधारक हैं, को दो कंपनियों से “बिना पर्याप्त कारोबार के” कई करोड़ रुपये का संदिग्ध प्रवाह था।
मुश्रीफ ने अधिवक्ता प्रशांत पाटिल, स्वप्निल अंब्रे और अतीत सोनी के माध्यम से दायर अपनी गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका में आरोप लगाया कि यह मामला भाजपा नेता किरीट सोमैया द्वारा शुरू किए गए एक राजनीतिक अभियान का परिणाम था।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने अपने जवाब में इस बात से इनकार किया कि राजनीतिक कारणों से मामले को आगे बढ़ाया जा रहा है।
ईडी ने कहा, “आवेदक ने गलत तरीके से दावा किया है कि अभियोजन का पूरा मामला सोमैया के राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम है। आवेदक दूसरों पर अपराध को स्थानांतरित करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन दोष को स्थानांतरित करने से अपराध समाप्त नहीं होता है।”
न्यायाधीश एम जी देशपांडे ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता की याचिका खारिज कर दी।
मुश्रीफ ने अपने खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले को खत्म करने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का भी रुख किया है।