पुणे की एक अदालत ने बुधवार को पूर्व गैंगस्टर जयेंद्र उर्फ भाई ठाकुर और तीन अन्य को अब निरस्त आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम या ‘टाडा’ के तहत दर्ज एक मामले में बरी कर दिया।
ठाकुर पर अक्टूबर 1989 में बिल्डर सुरेश दुबे की हत्या के सिलसिले में आतंकवादी कृत्य करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था।
दुबे की मुंबई के बाहरी इलाके नालासोपारा रेलवे स्टेशन पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि हमलावर भाई ठाकुर के गिरोह से जुड़े थे, जो वसई-विरार इलाके में सक्रिय था।
सुप्रीम कोर्ट ने दुबे हत्याकांड में गिरफ्तार 17 लोगों में से छह की दोषसिद्धि को बरकरार रखा था।
टाडा के तहत ठाकुर, दीपक ठाकुर, गजानन पाटिल और भास्कर पाटिल के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रचने के आरोप में मुकदमे को पुणे की अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसआर नवंदर ने बुधवार को सबूतों के अभाव में चारों आरोपों को बरी कर दिया।