विशेष सीबीआई अदालत ने शुक्रवार को मेहुल चोकसी और गितांजलि ग्रुप के दो पूर्व कर्मचारियों के खिलाफ ₹55.27 करोड़ के बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में मजिस्ट्रेट अदालत की कार्यवाही पर 8 अगस्त तक रोक लगा दी।
यह आदेश उस समय आया जब चोकसी के वकीलों — विजय अग्रवाल, राहुल अग्रवाल और जैस्मिन पुरानी — ने मजिस्ट्रेट के अप्रैल में दिए गए आदेश को चुनौती दी, जिसमें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए उसी दिन चोकसी और अन्य आरोपियों को समन जारी कर दिया गया था।
चोकसी के वकीलों ने दलील दी कि समन जारी करने का आदेश “यांत्रिक रूप से” और “बिना सोच-विचार” के पारित किया गया, और आरोपपत्र की विषयवस्तु पर ठीक से विचार नहीं किया गया।

विशेष न्यायाधीश जे. पी. डेरेकर ने पाया कि मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश में कोई तर्क या राय नहीं दी गई है जिससे यह स्पष्ट हो कि समन क्यों जारी किया गया। उन्होंने कहा, “अदालत को कम से कम इतने कारण तो बताने चाहिए कि उसने किस आधार पर आरोपी को समन जारी किया। तर्क केवल पक्षकारों के लिए नहीं, बल्कि उच्च न्यायालयों के लिए भी आवश्यक हैं ताकि निचली अदालत की सोच को समझा जा सके।”
अदालत ने इसे एक प्रारंभिक त्रुटि मानते हुए मजिस्ट्रेट की कार्यवाही पर रोक लगा दी और अगली सुनवाई की तारीख 8 अगस्त तय की। साथ ही सीबीआई को नोटिस जारी कर उसका पक्ष मांगा।
सीबीआई के अनुसार, केनरा बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने संयुक्त रूप से ₹55 करोड़ का कार्यशील पूंजी ऋण गितांजलि समूह से जुड़ी बेज़ल ज्वेलरी को स्वीकृत किया था। यह ऋण सोने और हीरे के आभूषणों के निर्माण और बिक्री के लिए दिया गया था, लेकिन सीबीआई का आरोप है कि कंपनी ने इस राशि का दुरुपयोग किया और ऋण नहीं चुकाया, जिससे बैंकों को ₹55.27 करोड़ का नुकसान हुआ।
मेहुल चोकसी और उनका भतीजा नीरव मोदी पहले से ही ₹13,500 करोड़ के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के मुख्य आरोपी हैं। जहां नीरव मोदी 2019 से लंदन की जेल में बंद हैं, वहीं चोकसी बेल्जियम में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।