मेघालय हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह मेघालय पुलिस अधिनियम, 2010 के प्रावधानों के अनुसार चार माह के भीतर पुलिस अकाउंटेबिलिटी कमीशन का गठन करे।
डिवीजन बेंच ने कहा कि अधिनियम पारित हुए 15 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन अब तक आयोग का गठन नहीं किया गया है। अदालत ने कहा कि अध्याय XII के तहत कल्पित यह आयोग एक समग्र व्यवस्था है जो पुलिस की जवाबदेही सुनिश्चित करेगा, दुराचार से जुड़ी शिकायतों की जांच करेगा और सरकार व पुलिस विभाग को आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
बेंच ने टिप्पणी की: “यह आयोग जैसा कि अधिनियम में परिकल्पित है, राज्य की पुलिस प्रशासन व्यवस्था के लिए लाभकारी होगा।”

यह आदेश एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें बताया गया कि अधिनियम की धारा 74 आयोग का गठन अधिनियम लागू होने के तीन माह के भीतर करने का प्रावधान करती है, लेकिन सरकार ऐसा करने में विफल रही है।
धारा 74 के अनुसार आयोग में होंगे—
- एक सेवानिवृत्त प्रिंसिपल सेक्रेटरी स्तर का अधिकारी अध्यक्ष,
- एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी (आईजीपी से नीचे का पद नहीं), तथा
- कानून, न्यायपालिका या लोक प्रशासन में कम से कम 10 वर्षों का अनुभव रखने वाला व्यक्ति।
इनकी नियुक्ति गृह मंत्री, मुख्य सचिव, गृह सचिव और डीजीपी की समिति की सिफारिश पर की जानी है।
अधिनियम के तहत आयोग को सलाहकारी अधिकार दिए गए हैं, जिनमें जांचों की समीक्षा करना, निष्पक्ष व त्वरित जांच के निर्देश देना और दुराचार में लिप्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश करना शामिल है।
राज्य की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता एन.डी. चुल्लाई ने दलील दी कि 2010 अधिनियम में निहित कई कार्य पहले से ही अन्य अधिनियमों में उपलब्ध हैं, इसी कारण आयोग गठित नहीं किया गया।
लेकिन बेंच ने स्पष्ट किया कि जब तक राज्य सरकार अधिनियम में संशोधन या उसे निरस्त नहीं करती, उसे इसके प्रावधानों का पालन करना ही होगा।
याचिका का निपटारा करते हुए हाईकोर्ट ने मेघालय सरकार को निर्देश दिया कि वह चार माह के भीतर पुलिस अकाउंटेबिलिटी कमीशन का गठन करे।