गुजरात के अहमदाबाद स्थित सिटी सिविल एवं सत्र न्यायालय में मंगलवार को उस वक्त अफरा-तफरी का माहौल बन गया, जब एक पुराने मामले में आए फैसले से नाराज एक व्यक्ति ने पीठासीन जज (presiding judge) पर अपने दोनों जूते फेंक दिए।
यह घटना भद्रा कोर्ट परिसर में दोपहर के समय हुई। व्यक्ति अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश की अदालत में मौजूद था, जहां उसके पिता पर 1997 में हुए हमले के मामले में चार आरोपियों की रिहाई के फैसले को बरकरार रखा गया। जैसे ही उसने यह फैसला सुना, वह आगबबूला हो गया और उसने जज की ओर जूते उछाल दिए।
यह पूरा मामला 28 साल पुराना है। 1997 में गोमतीपुर इलाके में सब्जी खरीद रहे शिकायतकर्ता (complainant) के पिता को क्रिकेट की गेंद लग गई थी, जिसके बाद हुए विवाद में उन पर हमला किया गया था। इस मामले में चार लोगों को आरोपी बनाया गया था। साल 2017 में एक मेट्रोपॉलिटन अदालत ने सभी चारों आरोपियों को बरी कर दिया था। इसी फैसले के खिलाफ सत्र न्यायालय में अपील की गई थी, जिसने सोमवार को निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया। इसी बात से नाराज होकर मंगलवार को यह घटना हुई।

सरकारी वकील सुधीर ब्रह्मभट्ट के अनुसार, फैसले के बाद व्यक्ति ने हंगामा शुरू कर दिया और न्यायिक अधिकारी को अपशब्द कहने लगा। जब पुलिस और वकीलों ने उसे शांत करने की कोशिश की, तो वह और भी भड़क गया और उसने एक के बाद एक दोनों जूते जज की बेंच की तरफ फेंक दिए। इस हमले में न्यायाधीश को कोई चोट नहीं आई।
खास बात यह रही कि इस घटना के बावजूद न्यायाधीश ने संयम का परिचय देते हुए उस व्यक्ति के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज कराने से इनकार कर दिया। जब करंज पुलिस स्टेशन के अधिकारी अदालत कक्ष (courtroom) में पहुंचे और व्यक्ति को हिरासत में लिया, तो न्यायाधीश ने अनुरोध किया कि उसके खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए।
इस घटना ने न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर इसलिए क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट में एक वकील द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश की ओर जूता फेंकने की घटना के कुछ दिनों बाद ही हुई है। गुजरात ज्यूडिशियल सर्विस एसोसिएशन ने एक बयान जारी कर न्यायिक अधिकारियों, अदालती कर्मचारियों और अदालतों की सुरक्षा के लिए तत्काल कड़े कदम उठाने की मांग की है। एसोसिएशन ने अहमदाबाद और सुप्रीम कोर्ट, दोनों घटनाओं की निंदा करते हुए दोषियों की पहचान कर उन पर कानून के तहत सख्त कार्रवाई की मांग की है।