पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की गिरफ्तारी और बढ़ाई गई रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 8 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।
न्यायमूर्ति त्रिभुवन दहिया की एकल पीठ ने मजीठिया को कोई अंतरिम राहत नहीं दी, लेकिन पंजाब के महाधिवक्ता मनिंदरजीत सिंह बेदी को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई से पहले याचिका में उठाए गए मुद्दों पर आवश्यक निर्देश प्राप्त करें। अदालत ने याचिका पर अब तक कोई औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया है।
गौरतलब है कि मजीठिया को पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने 25 जून को 540 करोड़ रुपये की कथित ‘ड्रग मनी’ से जुड़े अनुपातहीन संपत्ति (डीए) मामले में गिरफ्तार किया था। मोहाली की अदालत ने 26 जून को उन्हें सात दिन की विजिलेंस रिमांड में भेजा था, जिसे 2 जुलाई को चार दिन और बढ़ा दिया गया।

मजीठिया ने 1 जुलाई को हाईकोर्ट का रुख करते हुए रिमांड आदेश को रद्द करने की मांग की और प्राथमिकी व गिरफ्तारी को “राजनीतिक प्रतिशोध और द्वेष” बताया। उनकी याचिका में कहा गया है कि यह मामला आपराधिक कानून के दुरुपयोग, रिमांड की शक्ति के दुरुपयोग और निष्पक्ष जांच व स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़े गंभीर संवैधानिक प्रश्न उठाता है। याचिका में बाद में 2 जुलाई को रिमांड बढ़ाने के आदेश को भी चुनौती के रूप में जोड़ा गया।
मजीठिया के वकील का तर्क था कि रिमांड अर्जी में कोई ठोस या तात्कालिक जांच आवश्यकता नहीं दिखाई गई, बल्कि केवल सामान्य दलीलें दी गईं, जैसे उनका कथित प्रभाव, विदेशों से संबंध और डिजिटल साक्ष्यों के अस्पष्ट उल्लेख।
याचिका में 4 मार्च को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया गया, जिसमें मजीठिया को 2021 के एक ड्रग्स मामले में कस्टडी में लेकर पूछताछ करने से मना कर दिया गया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि वर्तमान मामले में लगाए गए आरोप भी उसी तरह के हैं, जिन्हें पहले ही खारिज किया जा चुका है।
मौजूदा प्राथमिकी 2021 के ड्रग्स मामले की जांच कर रही पंजाब पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) की रिपोर्ट पर आधारित है, जो 2018 में गठित एंटी-ड्रग स्पेशल टास्क फोर्स की रिपोर्ट पर आधारित थी। मजीठिया पर नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्स्टेंस एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था और वह अगस्त 2022 में हाईकोर्ट से जमानत मिलने से पहले पटियाला जेल में पांच महीने से अधिक समय बिता चुके हैं।