जल जीवन मिशन (JJM) में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए राजस्थान के पूर्व कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता महेश जोशी को जमानत दे दी है।
महेश जोशी पिछले करीब सात महीनों से प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हिरासत में थे। उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। पीठ ने पूर्व मंत्री की अपील को स्वीकार करते हुए उन्हें राहत प्रदान की है। इससे पहले, अगस्त महीने में राजस्थान हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के साथ ही 70 वर्षीय कांग्रेस नेता की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है, जो धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की कठोर धाराओं के तहत जेल में बंद थे।
यह मामला केंद्र सरकार की फ्लैगशिप योजना ‘जल जीवन मिशन’ के क्रियान्वयन में हुई कथित धांधली से जुड़ा है। इस योजना का उद्देश्य घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना था।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा दर्ज की गई एक FIR के आधार पर अपनी जांच शुरू की थी। जांच एजेंसी का आरोप है कि राजस्थान में इस योजना को लागू करने के दौरान बड़े पैमाने पर अनियमितताएं और मनी लॉन्ड्रिंग की गई।
महेश जोशी पिछली अशोक गहलोत सरकार में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHED) के कैबिनेट मंत्री थे। PHED ही वह नोडल विभाग था जिस पर राज्य में इस जल आपूर्ति योजना को लागू करने की जिम्मेदारी थी।
ED ने इस मामले में लंबी पूछताछ के बाद जोशी को गिरफ्तार किया था। अपनी गिरफ्तारी से पहले जयपुर स्थित ED कार्यालय में उनसे करीब सात-आठ घंटे तक गहन पूछताछ की गई थी। हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बाद, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उनके लिए बड़ी कानूनी जीत मानी जा रही है।

