बॉम्बे हाईकोर्ट को मंगलवार को सूचित किया गया कि महाराष्ट्र सरकार आगामी मानसून सत्र में निजी कोचिंग क्लासेस को विनियमित करने के लिए एक विधेयक विधानसभा में पेश करेगी। यह जानकारी मुख्य न्यायाधीश आलोक आराधे और न्यायमूर्ति मकरंद कर्णिक की खंडपीठ के समक्ष एक सुनवाई के दौरान दी गई।
अदालत में यह सुनवाई शहर निवासी भगवानजी रैयानी की याचिका पर हो रही थी, जो पिछले कई वर्षों से कोचिंग क्लासेस के नियमन को लेकर अदालत के पूर्व आदेशों के कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं। रैयानी ने अदालत को बताया कि राज्य में अब तक इस विषय पर कोई व्यापक नीति लागू नहीं की गई है, जबकि पहले अदालत द्वारा विशेषज्ञ समिति गठित करने और एक अध्यादेश जारी करने जैसे कदम उठाए जा चुके हैं।
रैयानी ने दलील दी, “सरकारी, अनुदानित स्कूलों और कॉलेजों में कार्यरत नियमित शिक्षक अब अपने विद्यालयीय कार्यों के बजाय कोचिंग क्लासेस को अधिक समय और प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।”

महाराष्ट्र अध्यादेश क्रमांक XXII of 2000 कोचिंग संस्थानों के संचालन को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लाया गया था, लेकिन उचित कानून न बनने के कारण यह समयसीमा समाप्त होने के साथ निष्प्रभावी हो गया। 4 जनवरी 2017 को जारी सरकारी संकल्प के तहत शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी, जिसे इस विषय पर कानून बनाने का कार्य सौंपा गया था।
कोर्ट द्वारा नीति लागू करने की समयसीमा पूछे जाने पर सरकारी वकील ने जवाब दिया कि यह विधेयक जुलाई में होने वाले मानसून सत्र में विधानसभा में पेश किया जाएगा। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इससे पहले अदालत द्वारा निर्देश दिए गए थे और अध्यादेश अब समाप्त हो चुका है।