मद्रास हाईकोर्ट ने गैर-वकीलों द्वारा संचालित फर्जी लॉ फर्म की जांच के लिए CBCID को दिए आदेश

मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु में गैर-वकीलों द्वारा संचालित एक कथित फर्जी लॉ फर्म JMI Law Associates की जांच के लिए CBCID (क्राइम ब्रांच क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट) को आदेश दिया है। यह निर्देश C.R.P. No. 443 of 2025 में आया, जिसका शीर्षक कमलेश चंद्रशेखरन बनाम एम.ए. नूर जहां बीवी था और इसे न्यायमूर्ति ए.डी. जगदीश चंडीरा ने सुनाया। कोर्ट ने बिना लाइसेंस के कानूनी प्रैक्टिस और इस मामले में शामिल कुछ वकीलों द्वारा पेशेवर दुराचार को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला चेन्नई के मायलापुर में एक विवादित संपत्ति से जुड़ा हुआ है, जहां प्रतिवादी 1 से 3 के स्वामित्व वाली भूमि पर कई वर्षों से अतिक्रमण था। कथित रूप से, द्वितीय प्रतिवादी और याचिकाकर्ता कमलेश चंद्रशेखरन के बीच एक बिक्री समझौता हुआ था, जो जमाल मोहम्मद इब्राहिम का सहयोगी बताया गया। इब्राहिम खुद को रियल एस्टेट निवेशक बताता था, लेकिन यह बिक्री समझौता पूरा नहीं हुआ, जिसके कारण कई कानूनी कार्यवाही शुरू हुईं।

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आगे की जांच में पता चला कि JMI Law Associates नामक लॉ फर्म, जिसे जमाल मोहम्मद इब्राहिम ने स्थापित किया था, बिना उचित अनुमति के काम कर रही थी। इस लॉ फर्म के भूमि विवादों और वित्तीय लेन-देन में संलिप्तता को लेकर कई शिकायतें दर्ज हुईं। इस मामले में प्रतिवादियों की वकील सुश्री प्रीति भास्कर ने बाद में याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करना शुरू कर दिया, जिससे हितों के टकराव और नैतिक उल्लंघन की आशंका उत्पन्न हुई।

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मुख्य कानूनी मुद्दे

  1. गैरकानूनी कानूनी प्रैक्टिस: कोर्ट ने पाया कि JMI Law Associates न तो पंजीकृत लॉ फर्म थी और न ही किसी योग्य वकील द्वारा संचालित थी, जिससे पेशेवर आचार संहिता का उल्लंघन हुआ।
  2. पेशेवर दुराचार: सुश्री प्रीति भास्कर पर कोर्ट प्रक्रिया में हेरफेर, फोरम शॉपिंग (इच्छानुसार अदालतें चुनने) और अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगा।
  3. जालसाजी और वित्तीय धोखाधड़ी: कोर्ट ने फर्जी दस्तावेजों और संपत्ति अतिक्रमण व निष्कासन से संबंधित धोखाधड़ी की जांच के आदेश दिए।
  4. न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप: कोर्ट ने पाया कि कानूनी प्रणाली का दुरुपयोग कर वैध संपत्ति मालिकों पर दबाव बनाने की कोशिश की गई।
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कोर्ट की टिप्पणियां और निर्णय

मद्रास हाईकोर्ट ने फर्जी कानूनी प्रथाओं और न्यायिक प्रणाली के दुरुपयोग की निंदा करते हुए कड़े बयान दिए:

  • गैरकानूनी लॉ फर्मों पर: “कानूनी प्रैक्टिस केवल योग्य वकीलों के लिए आरक्षित है। कोई भी व्यक्ति या संस्था बिना उचित अनुमति के लॉ फर्म के रूप में काम नहीं कर सकती।”
  • पेशेवर आचरण पर: “वकीलों का कर्तव्य न्याय की रक्षा करना है, न कि व्यक्तिगत लाभ के लिए प्रणाली में हेरफेर करना।”
  • CBCID जांच पर: कोर्ट ने CBCID को निर्देश दिया कि JMI Law Associates और उसके सहयोगियों की गतिविधियों की गहन जांच की जाए।
  • बार काउंसिल की भूमिका: तमिलनाडु और पुडुचेरी बार काउंसिल को निर्देश दिया गया कि वे मामले में शामिल वकीलों की साख की पुष्टि करें और अनुशासनात्मक कार्रवाई करें।
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कोर्ट द्वारा जारी आदेश

  1. CBCID को JMI Law Associates की वैधता और उसकी कानूनी गतिविधियों की जांच के आदेश।
  2. तमिलनाडु और पुडुचेरी बार काउंसिल को संलिप्त वकीलों की पेशेवर स्थिति और आचरण की समीक्षा करने के निर्देश।
  3. पुलिस को संपत्ति विवादों में कानूनी प्रक्रियाओं का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने की याद दिलाई गई।
  4. मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी, जिसमें अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।

कानूनी प्रतिनिधित्व

  • याचिकाकर्ता: कमलेश चंद्रशेखरन, प्रतिनिधित्व किया सुश्री प्रीति भास्कर ने।
  • प्रतिवादी 1-3: प्रतिनिधित्व किया श्री एस. गणेशन (कर्नल गणेशन एसोसिएट्स) ने।

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