मद्रास हाईकोर्ट ने पूर्व विशेष पुलिस महानिदेशक, राजेश दास द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें तमिलनाडु कैडर की एक महिला आईपीएस अधिकारी के प्रति यौन उत्पीड़न से संबंधित मामले में आत्मसमर्पण करने से छूट की मांग की गई थी।
पूर्व डीजीपी ने निचली अदालत में याचिका दायर की थी और बाद में अपीलीय अदालत ने उन्हें अभियोजन के आरोपों में दोषी पाया।
मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम. धंदापानी ने मंगलवार को पूर्व डीजीपी को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम), विल्लुपुरम के समक्ष आत्मसमर्पण करने से छूट देने से इनकार कर दिया।
न्यायाधीश ने कहा कि पूर्व डीजीपी, जो एक दोषी है और उसे आत्मसमर्पण करना होगा, जेल जाएगा और फिर हाईकोर्ट के समक्ष अपनी पुनरीक्षण याचिका के निपटारे तक सजा को निलंबित करने के साथ-साथ जमानत देने की मांग करेगा।
विल्लुपुरम सीजेएम ने 16 जून, 2023 को राजेश दास को दोषी ठहराया और सजा सुनाई थी।
उन पर फरवरी 2021 में एक महिला पुलिस अधीक्षक का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया था, जब वे दोनों आधिकारिक ड्यूटी पर उनकी कार में एक साथ यात्रा कर रहे थे।
दोनों पुलिस अधिकारी तत्कालीन मुख्यमंत्री एडप्पादी के. पलानीस्वामी को सुरक्षा प्रदान कर रहे थे, जो विधान सभा चुनाव के दौरान अन्नाद्रमुक के लिए प्रचार कर रहे थे।
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राजेश दास की अपील को विल्लुपुरम प्रधान जिला न्यायालय के न्यायाधीश ने खारिज कर दिया, जिन्होंने 12 फरवरी, 2024 को दोषसिद्धि के साथ-साथ सजा की पुष्टि की।
दोषी राजेश दास ने एक पुनरीक्षण याचिका के साथ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और अपने पुनरीक्षण के निपटारे तक आत्मसमर्पण करने से छूट मांगी थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था।