मद्रास हाईकोर्ट ने मंगलवार को तमिलनाडु सरकार को राजनीतिक रैलियों और जनसभाओं के नियमन के लिए तैयार किए जा रहे स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) का अंतिम मसौदा दाखिल करने के लिए 20 नवम्बर तक का समय दिया।
मुख्य न्यायाधीश एम. एम. श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति जी. अरुल मुरुगन की पीठ ने इस संबंध में दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मामले की अगली तारीख 21 नवम्बर तय की। ये याचिकाएं 27 सितम्बर को करूर में अभिनेता-राजनीतिज्ञ विजय की पार्टी तमिऴगा वेत्रि कझगम की रैली के दौरान हुई भगदड़ में 41 लोगों की मौत के बाद दाखिल की गई थीं।
राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता जे. रविन्द्रन ने अदालत को बताया कि 6 नवम्बर को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई गई थी। उस बैठक में 20 दलों ने भाग लिया और उन्हें SOP का प्रारूप विचार के लिए भेजा गया। इसके अलावा, 40 पंजीकृत राजनीतिक दलों को भी मसौदा भेजकर 10 नवम्बर तक सुझाव मांगे गए थे। कुछ दलों ने अपने सुझाव भेज दिए हैं, जबकि कुछ की प्रतिक्रिया अब भी लंबित है।
इस पर पीठ ने कहा कि सरकार सभी दलों की प्रतीक्षा किए बिना आगे की प्रक्रिया जारी रख सकती है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि राजनीतिक दल अपनी रैलियों या सभाओं के लिए समय से पहले अनुमति के लिए आवेदन करें और प्रशासन उनकी याचिका पर कम से कम पांच दिन पहले निर्णय दे।
मुख्य न्यायाधीश श्रीवास्तव ने स्पष्ट किया कि SOP का उद्देश्य राजनीतिक गतिविधियों को सीमित करना नहीं है, बल्कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकना है। उन्होंने कहा, “SOP इसलिए तैयार की जा रही है ताकि जब भी राजनीतिक दल या संगठन रैलियां या बैठकें आयोजित करें, तो भगदड़ जैसी घटनाएं न हों।”
सुनवाई के दौरान अदालत ने अन्नाद्रमुक (AIADMK) और देशिया मक्कल शक्तिक काची को मामले में पक्षकार के रूप में शामिल होने की अनुमति दी।
अतिरिक्त महाधिवक्ता रविन्द्रन ने अंतिम मसौदा दाखिल करने के लिए एक महीने का समय मांगा, जिस पर देशिया मक्कल शक्तिक काची की ओर से अधिवक्ता ए. पी. सूर्यप्रकाशम ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव निकट हैं (अप्रैल 2026 में) और इतनी लंबी मोहलत अनुचित होगी।
अदालत ने इस पर सरकार को केवल दस दिन का समय देते हुए निर्देश दिया कि SOP का अंतिम मसौदा 20 नवम्बर तक दाखिल किया जाए। मामला अब 21 नवम्बर को पुनः सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।




