एक अहम फैसले में, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने चार पारिवारिक सदस्यों की हत्या के दोषी जितेंद्र पुर्विया की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। अदालत ने उसके नशे की हालत में होने और उसके नाबालिग पुत्र की देखभाल की आवश्यकता को इस दंड परिवर्तन के प्रमुख आधार बताया।
यह भयावह घटना 16 मई 2019 को मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले के सिमरेघाट गांव में हुई थी, जब पुर्विया ने अपनी पत्नी सुनीता, पिता जालम सिंह, माता शारदा और बेटे सिद्धांत की हत्या कर दी थी। बरेली, रायसेन के अपर सत्र न्यायाधीश ने उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत मौत की सजा सुनाई थी, साथ ही शस्त्र अधिनियम के तहत भी अतिरिक्त सजाएं दी थीं।
न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति देवनारायण मिश्रा की खंडपीठ ने दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए सजा में संशोधन किया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “घटना के समय आरोपी की नशे की हालत और एक जीवित नाबालिग पुत्र की उपस्थिति जैसे परिस्थितियों को देखते हुए, हमें लगता है कि ये कारक मृत्युदंड के स्थान पर उम्रकैद देने के लिए पर्याप्त रूप से महत्वपूर्ण हैं।”

मामले के विवरण के अनुसार, घटना की रात पुर्विया बंदूक और कुल्हाड़ी से लैस होकर अपने परिजनों पर टूट पड़ा। पड़ोसी रंजनाबाई ने बताया कि रात करीब 1:30 से 2:00 बजे के बीच उसे चीख-पुकार और सुनीता की आवाज सुनाई दी, जिसके बाद वह अपने बेटे के साथ मौके पर पहुंची। उन्होंने देखा कि पुर्विया अपने परिजनों पर हमला कर रहा था और उन्होंने किसी तरह खुद को उसकी मार से बचाया।
इस हमले में सुनीता और शारदा की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि जालम सिंह और सिद्धांत ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। घटना के बाद पुर्विया मौके से फरार हो गया था, लेकिन बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।