कानून मंत्री ने कोलेजियम सिस्टम की जगह नए NJAC बिल पर सीधा जवाब देने से किया परहेज़

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने गुरुवार को राज्यसभा में उस सवाल का सीधा उत्तर देने से परहेज़ किया, जिसमें पूछा गया था कि क्या सरकार कोलेजियम प्रणाली को हटाकर नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट्स कमिटी (NJAC) बिल को फिर से पेश करने जा रही है।

बीजू जनता दल (BJD) के सांसद सस्मित पात्र ने राज्यसभा में यह प्रश्न उठाया कि क्या सरकार NJAC पर नया विधेयक लाने पर विचार कर रही है। इसके जवाब में मेघवाल ने वर्ष 2014 के NJAC कानून और संविधान (निन्यानवे संशोधन) अधिनियम की रूपरेखा और उद्देश्यों की विस्तार से व्याख्या की, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि सरकार इसे दोबारा पेश करने जा रही है या नहीं।

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कानून मंत्री ने कहा कि NJAC का उद्देश्य न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया को “अधिक व्यापक, पारदर्शी और उत्तरदायी” बनाना था, जिससे निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके। उन्होंने बताया कि 16 अक्टूबर 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को असंवैधानिक घोषित कर दिया था, जिसके बाद कोलेजियम प्रणाली को पुनः लागू कर दिया गया।

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हाल के दिनों में न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया को लेकर बहस फिर तेज हो गई है, विशेष रूप से दिल्ली हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश के सरकारी आवास से आधे जले हुए करेंसी नोट मिलने की घटना के बाद। इस प्रकरण ने वर्तमान कोलेजियम प्रणाली की पारदर्शिता और प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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अब जब न्यायिक सुधारों पर चर्चा तेज हो रही है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार इस दिशा में अगला कदम क्या उठाती है। हालांकि, कानून मंत्री के जवाब से यह संकेत जरूर मिला है कि सरकार इस मुद्दे पर विचार कर रही है, लेकिन फिलहाल किसी ठोस प्रस्ताव की घोषणा नहीं की गई है।

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