केरल हाईकोर्ट ने राज्य के सभी स्थानीय स्वशासन संस्थानों के सचिवों को दो सप्ताह के भीतर अवैध बोर्ड, बैनर, झंडे और फेस्टून हटाने का सख्त निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि निर्धारित अवधि के बाद यदि कोई भी अवैध इंस्टॉलेशन बचा मिलता है, तो उसकी व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी संबंधित सचिव की होगी।
न्यायमूर्ति देवन् रमाचन्द्रन ने 19 नवम्बर को पारित आदेश में कहा कि कोर्ट के पहले दिए गए निर्देशों का पूरी तरह पालन होना चाहिए और किसी भी प्रकार की चूक स्वीकार्य नहीं होगी।
सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि यह आदेश दो दिनों के भीतर ईमेल के माध्यम से सभी स्थानीय निकाय सचिवों तक पहुँचा दिया जाएगा। कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग और प्रत्येक ज़िला निर्वाचन अधिकारी को अपने-अपने क्षेत्रों की निगरानी करने और किसी भी अवैध बैनर, बोर्ड, झंडे या फेस्टून पर तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि पूरी प्रक्रिया पूरी होने के बाद एक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल की जाए।
यह आदेश कार्यकर्ता राहुल के. टी. की याचिका पर आया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि 13 मार्च के हाईकोर्ट निर्देश के बावजूद अवैध इंस्टॉलेशन हटाने में स्थानीय निकाय सचिवों की कार्रवाई बेहद ढीली है। उन्होंने तर्क दिया कि जब तक सचिवों को व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा, स्थिति में सुधार संभव नहीं है।
अदालत ने माना कि याचिकाकर्ता की दलीलों में “प्रथम दृष्टया बल” है और यह भी कहा कि सचिवों पर जुर्माने की वसूली का मुद्दा दो सप्ताह की समयसीमा पूरी होने के बाद विचार किया जाएगा।
मामले की अगली सुनवाई 3 दिसम्बर को होगी।




