केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को सबरीमाला मंदिर क्षेत्र में मंगलवार को हुई भीड़भाड़ और अव्यवस्था पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि हालात बिगड़ने का मुख्य कारण संबंधित अधिकारियों के बीच सही समन्वय का अभाव था।
सबरीमाला व्यवस्थाओं की निगरानी कर रही पीठ ने कहा कि त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (TDB) पहले से जारी निर्देशों का पालन करने में विफल रहा और यह भी पूछा कि जरूरी तैयारियां समय पर क्यों नहीं की गईं। न्यायालय ने टिप्पणी की कि कई कार्य छह महीने पहले पूरे हो जाने चाहिए थे।
अदालत ने पूछा कि इतनी बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों को एक ही समय में मंदिर परिसर में प्रवेश कैसे दिया गया, जबकि भीड़ प्रबंधन के लिए यह बेहद जोखिमपूर्ण है।
पीठ ने सुझाव दिया कि तीर्थयात्रियों को अलग-अलग सेक्टरों में बांटने से भीड़ पर नियंत्रण पाना आसान होगा, बजाय इसके कि सभी को एक साथ आगे धकेला जाए, जो सुरक्षित तरीका नहीं है।
नव नियुक्त TDB अध्यक्ष के. जयकुमार ने अदालत की चिंताओं से सहमति जताते हुए स्वीकार किया कि तैयारियां सचमुच छह महीने पहले पूरी हो जानी चाहिए थीं।
मंदिर 17 नवंबर को खुलने के बाद 48 घंटे के भीतर करीब दो लाख श्रद्धालु सबरीमाला पहुंचे। भारी भीड़ ने TDB और पुलिस दोनों को हक्का-बक्का कर दिया।
पंबा से लेकर सन्निधानम तक मार्ग पर लंबी कतारें लगी रहीं। टीवी पर दिखे दृश्य बताते हैं कि श्रद्धालु 18 पवित्र सीढ़ियों के आसपास खचाखच भरे हुए थे, बच्चे रो रहे थे, कई लोग घंटों इंतजार से परेशान होकर बैरिकेड्स तक लांघने लगे।
कई श्रद्धालुओं ने यह भी शिकायत की कि घंटों कतार में खड़े रहने के बावजूद उन्हें पीने का पानी नहीं मिला।
हाईकोर्ट ने राज्य के सभी अधिकारियों को तुरंत प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया है ताकि तीर्थ सीजन में ऐसी स्थिति दोबारा न बने।




