केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सहायक निदेशक शेखर कुमार को अग्रिम जमानत दे दी। उन पर एक व्यवसायी से ₹2 करोड़ की रिश्वत मांगने का आरोप है।
जस्टिस ए. बादरुद्दीन ने शेखर कुमार बनाम राज्य केरल मामले में यह आदेश पारित किया। यह मामला हाल ही में एर्नाकुलम इकाई की विजिलेंस और एंटी-करप्शन ब्यूरो (वीएसीबी) द्वारा दर्ज किया गया था।
वीएसीबी के अनुसार, एक व्यक्ति, जिसने खुद को ईडी एजेंट के रूप में पेश किया था, को एक व्यवसायी अनीश बाबू से ₹2 लाख की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। बाबू और उसके काजू व्यापार की ईडी जांच कर रही थी। अपनी शिकायत में बाबू ने आरोप लगाया कि उसे मामले में छोड़ने के लिए ₹2 करोड़ की रिश्वत मांगी गई थी।

कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7(क) के तहत रिश्वतखोरी और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 61(2) के तहत आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में नामजद अन्य तीन आरोपियों को पिछले हफ्ते गिरफ्तार किया गया था, लेकिन विजिलेंस कोर्ट ने यह noting करते हुए उन्हें जमानत दे दी कि गिरफ्तारी के आधार उन्हें सूचित नहीं किए गए थे।
अग्रिम जमानत याचिका में कुमार ने सभी आरोपों का खंडन करते हुए दावा किया कि उन्हें झूठे तरीके से फंसाया गया है। उनकी याचिका में कहा गया, “अब तक प्रस्तुत सभी तथ्यों के आलोक में, यदि एक निष्कलंक सेवा रिकॉर्ड वाले लोक सेवक को गिरफ्तारी और कारावास की अवांछित पीड़ा झेलनी पड़े, तो यह न्याय का मखौल होगा।”
कुमार का यह भी तर्क था कि शिकायतकर्ता बाबू प्रवर्तन निदेशालय द्वारा शुरू की गई कार्रवाई से बचने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनका और अन्य आरोपियों का आपस में कोई संपर्क नहीं रहा है। कुमार ने बाबू पर कई वर्षों तक भगोड़ा रहने का भी आरोप लगाया।
कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विजयभानु ने दलीलें पेश कीं। उनकी टीम में अधिवक्ता के. अरविंद मेनन, पी.एम. रफीक, एम. रेविकृष्णन, अजीश के. सासी, सृथि एन. भट, राहुल सुनील, सृथि के.के., नंदिता एस., सोहेल अहमद हैरिस और आरोन जकारियास बेनी शामिल थे।
कोर्ट के इस आदेश से ईडी अधिकारी को अस्थायी राहत मिली है, जबकि विजिलेंस विभाग की जांच अभी जारी है।