दिल्ली हाई कोर्ट में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है, जिसमें उन्हें पद से हटाने की मांग की गई है।
याचिका दायर करना दिल्ली की शराब नीति से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा केजरीवाल की हाल ही में गिरफ्तारी के साथ मेल खाता है। गुरुवार, 21 मार्च, 2024 को की गई गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब केंद्रीय जांच एजेंसी ने राउज़ एवेन्यू कोर्ट में दलील दी कि केजरीवाल इस मामले में मुख्य साजिशकर्ता थे और 10 दिनों के लिए उनकी हिरासत की मांग की थी।
अभियोजन पक्ष की दलील
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू द्वारा प्रस्तुत ईडी ने अदालत में कहा कि केजरीवाल ने रुपये की मांग की थी। पंजाब में चुनाव लड़ने के लिए ‘साउथ ग्रुप’ से जुड़े कुछ आरोपी व्यक्तियों से 100 करोड़ रु. राजू ने आगे बताया कि वित्तीय लेनदेन में रुपये की रिश्वत का खुलासा हुआ। गोवा चुनाव में इस्तेमाल किए गए 45 करोड़ रुपये, जो चार हवाला चैनलों के माध्यम से भेजे गए थे।
बचाव पक्ष का तर्क
केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि किसी मौजूदा मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जाना भारत के इतिहास में अभूतपूर्व है. उन्होंने दलील दी कि वित्तीय लेनदेन की आगे की जांच गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकती।