कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा है कि वह वरुणा निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा के लिए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर 28 जुलाई को सुनवाई करेगा।
याचिका में कांग्रेस पार्टी के चुनाव घोषणापत्र को दोषी ठहराया गया है जिसमें पांच ‘गारंटियों’ का वादा किया गया था, जो रिश्वतखोरी के समान भ्रष्ट आचरण और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 (2) के तहत अनुचित प्रभाव भी है।”
याचिका में आरोप लगाया गया है कि सिद्धारमैया ने संविधान के प्रावधानों और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत नियमों और दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है।
याचिका में दावा किया गया है कि “उक्त गारंटी उम्मीदवार और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी द्वारा किए गए प्रस्ताव और वादों की प्रकृति में हैं। यह प्रतिवादी (सिद्धारमैया) की सहमति से किया गया था।”
वे वरुणा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं की संतुष्टि के रूप में हैं और मतदाताओं को सीधे कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार यानी प्रतिवादी को वोट देने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से हैं। मकसद और इनाम की संतुष्टि के रूप में प्रतिवादी के पक्ष में वोट देने पर विचार किया गया।”
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निर्वाचन क्षेत्र के एक निजी नागरिक के एम शंकर द्वारा दायर चुनाव याचिका न्यायमूर्ति एस सुनील दत्त यादव की एकल-न्यायाधीश पीठ के समक्ष आई। याचिका में आरोप लगाया गया कि सिद्धारमैया हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों के दौरान “चुनाव अवधि के दौरान भ्रष्ट आचरण में लिप्त थे।”
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमिला नेसारगी ने अदालत से कहा कि पांच गारंटी के नाम पर वोट मांगने वाले सभी लोग आदर्श आचार संहिता तोड़ने के दोषी हैं, लेकिन उदाहरण के तौर पर केवल सिद्धारमैया को प्रतिवादी बनाया गया है।
याचिका में कहा गया है, “घोषणापत्र में जगह पाने वाले सभी व्यक्तियों के नाम आरपी अधिनियम की धारा 123(1) और 123(2) के भ्रष्ट आचरण के लिए संयुक्त रूप से और अलग-अलग जिम्मेदार हैं।”
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को याचिका पर उठाई गई कार्यालय की आपत्तियों का पालन करने का निर्देश देने के बाद सुनवाई स्थगित कर दी।