लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला ने Judges (Inquiry) Act, 1968 के तहत, इलाहाबाद हाईकोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश माननीय श्री न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ कदाचार के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। यह उच्चस्तरीय समिति एक वर्तमान सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश, एक हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश और एक वरिष्ठ अधिवक्ता से मिलकर बनी है।
समिति के सदस्य
- न्यायमूर्ति अरविंद कुमार, न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट
- न्यायमूर्ति एम. एम. श्रीवास्तव, मुख्य न्यायाधीश, मद्रास हाईकोर्ट
- वरिष्ठ अधिवक्ता बी. वासुदेव आचार्य, कर्नाटक हाईकोर्ट
अब जानते हैं इन सदस्यों के बारे में विस्तार से—

न्यायमूर्ति अरविंद कुमार कौन हैं?
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्तमान में भारत के सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश हैं। उन्हें 13 फरवरी 2023 को सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया। इससे पहले वे गुजरात हाईकोर्ट के 26वें मुख्य न्यायाधीश रहे। प्रशासनिक दक्षता और न्यायिक प्रक्रिया में तेजी के लिए उनकी पहचान है।
जन्म और शिक्षा
इनका जन्म 14 जुलाई 1962 को कर्नाटक में हुआ। उन्होंने बी.कॉम नेशनल कॉलेज, बेंगलुरु से किया और कानून की डिग्री यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज, बेंगलुरु से प्राप्त की। वर्ष 1987 में वे अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए।
वकालत का सफर
शुरुआत में तीन साल ट्रायल कोर्ट में प्रैक्टिस की और 1990 से कर्नाटक हाईकोर्ट में कार्य किया। 1999 में अतिरिक्त केंद्रीय सरकारी स्थायी अधिवक्ता नियुक्त हुए, 2002 में आयकर विभाग के स्थायी अधिवक्ता बने और 2005 में भारत के सहायक सॉलिसिटर जनरल नियुक्त हुए। उन्होंने संवैधानिक, कर, केंद्रीय उत्पाद, कस्टम और आपराधिक मामलों के साथ कई वैधानिक निकायों को कानूनी सलाह दी।
न्यायिक करियर
- कर्नाटक हाईकोर्ट (2009-2021): 26 जून 2009 को अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुए, 7 दिसंबर 2012 को स्थायी न्यायाधीश बने। कोविड-19 प्रोटोकॉल के क्रियान्वयन की निगरानी करने वाली पीठ का हिस्सा रहे।
- गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (2021-2023): 13 अक्टूबर 2021 को शपथ ली। लंबित मामलों को कम करने के लिए “जस्टिस क्लॉक” जैसी डिजिटल पहल शुरू की।
- सुप्रीम कोर्ट (2023-वर्तमान): सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिश पर नियुक्त हुए। कई महत्वपूर्ण फैसलों की पीठ का हिस्सा रहे। उनका कार्यकाल 13 जुलाई 2027 तक रहेगा।
न्यायमूर्ति मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव कौन हैं?
न्यायमूर्ति मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव वर्तमान में मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश हैं। इनका जन्म 6 मार्च 1964 को बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में हुआ। एलएलबी करने के बाद 5 अक्टूबर 1987 को मध्यप्रदेश बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए। संवैधानिक, सेवा और कर मामलों में विशेष दक्षता के साथ जबलपुर में प्रैक्टिस की।
31 जनवरी 2005 को वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा प्राप्त किया। 10 दिसंबर 2009 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए।
बाद में 18 अक्टूबर 2021 को राजस्थान हाईकोर्ट में स्थानांतरित हुए और तीन बार कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहे। 6 फरवरी 2024 को राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने।
वरिष्ठ अधिवक्ता बी. वासुदेव आचार्य कौन हैं?
वरिष्ठ अधिवक्ता बी. वासुदेव आचार्य कर्नाटक हाईकोर्ट से जुड़े एक प्रख्यात वकील हैं, जिनका कानूनी करियर छह दशक से अधिक लंबा है।
शुरुआती जीवन और करियर
कर्नाटक के उडुपी जिले में जन्मे श्री आचार्य 1957 में अधिवक्ता बने। उन्होंने शुरुआत में मंगलुरु में प्रैक्टिस की और 1972 में बेंगलुरु स्थित कर्नाटक हाईकोर्ट में स्थानांतरित हुए। मई 1989 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा मिला।
पद और सेवाएं
- 1989 से 2012 के बीच पांच बार कर्नाटक के महाधिवक्ता रहे।
- 2010-2012 तक भारत के 19वें विधि आयोग के सदस्य रहे।
- तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता और अन्य के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में विशेष लोक अभियोजक के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाया। 2009 में मैंगलोर विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद डॉक्टरेट दी और 2017 में बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने “लॉयर्स ऑफ इंडिया डे अवार्ड” से सम्मानित किया।
आज भी वे सक्रिय हैं और अपनी आत्मकथा “All From Memory” और “Memoir of a Prosecutor” के दो खंड लिख चुके हैं।