केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को लखनऊ में एक अहम घोषणा करते हुए कहा कि आने वाले पांच वर्षों में देश में ऐसी प्रणाली लागू की जाएगी, जिसमें एफआईआर दर्ज होने से लेकर सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय तक तीन साल के भीतर न्याय मिल सकेगा।
यह घोषणा शाह ने उत्तर प्रदेश पुलिस की सबसे बड़ी भर्ती प्रक्रिया में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र वितरित करते हुए की। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। शाह ने इस भर्ती प्रक्रिया को भ्रष्टाचार, जातिगत भेदभाव और सिफारिश से मुक्त बताते हुए पारदर्शिता और मेरिट आधारित चयन की सराहना की।
“अब हमारे पास तीन नए कानून हैं। पांच वर्षों में देश में ऐसी व्यवस्था होगी, जिसमें एफआईआर से सुप्रीम कोर्ट तक तीन साल में न्याय मिलेगा,” शाह ने कहा।

उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था को सीसीटीएनएस (CCTNS), आईसीजेएस (ICJS) और आधुनिक फोरेंसिक विज्ञान तकनीकों के माध्यम से सशक्त किया जाएगा।
नए आपराधिक कानूनों के अंतर्गत न्याय प्रणाली
गृह मंत्री की यह घोषणा उन तीन नए आपराधिक कानूनों—भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)—के कार्यान्वयन से संबंधित है, जो अब पूरे देश में लागू हैं। इन कानूनों ने भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लिया है।
नए कानूनों का उद्देश्य न्याय प्रक्रिया को अधिक तेज़, पारदर्शी और पीड़ित-केंद्रित बनाना है। इनके प्रमुख प्रावधानों में शामिल हैं:
- गंभीर अपराधों में फोरेंसिक जांच को अनिवार्य बनाना
- समयबद्ध जांच और सुनवाई की व्यवस्था
- इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और दस्तावेजों का डिजिटलीकरण
- पुलिस, अभियोजन और न्यायालय के बीच बेहतर समन्वय
निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया की सराहना
अमित शाह ने उत्तर प्रदेश सरकार की पुलिस भर्ती प्रक्रिया को निष्पक्ष और भ्रष्टाचारमुक्त बताया।
“न कोई खर्ची, न पर्ची, न जाति के आधार पर भेदभाव। यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और योग्यता आधारित रही,” शाह ने कहा।
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में ऐसी निष्पक्ष भर्ती व्यवस्था ने लोगों का कानून व्यवस्था पर भरोसा मजबूत किया है।