केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा का तबादला कलकत्ता हाईकोर्ट में करने की अधिसूचना जारी कर दी है। हाल के महीनों में यह दिल्ली हाईकोर्ट के किसी न्यायाधीश का तीसरा लगातार तबादला है, जिसे सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के बाद अंजाम दिया गया है।
न्यायमूर्ति शर्मा ने फरवरी 2022 में दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। उनका न्यायिक करियर उल्लेखनीय रहा है। उन्होंने 1992 में दिल्ली न्यायिक सेवा में प्रवेश किया और 2003 में उच्चतर न्यायिक सेवा में पदोन्नत हुए। अपने करियर के दौरान वे दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और दिल्ली न्यायिक अकादमी के निदेशक जैसे अहम पदों पर कार्य कर चुके हैं।
पृष्ठभूमि और संदर्भ

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम, जिसकी अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना कर रहे हैं, ने 27 मार्च 2025 को हुई बैठक में न्यायमूर्ति शर्मा के तबादले की सिफारिश की थी। यह निर्णय दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे न्यायिक पुनर्संरचना के क्रम में लिया गया है। हाल ही में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को भी इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजे जाने की सिफारिश की गई थी, जब उनके आवास से कथित रूप से बेहिसाब नकदी मिलने के आरोप सामने आए थे। इसके अलावा न्यायमूर्ति सी.डी. सिंह को भी उनके मूल न्यायालय इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापस भेजे जाने का प्रस्ताव रखा गया है।
न्यायमूर्ति शर्मा के तबादले को लेकर कोलकाता में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। कोलकाता की तीन प्रमुख बार एसोसिएशनों—इनकॉरपोरेटेड लॉ सोसाइटी ऑफ कलकत्ता, बार लाइब्रेरी क्लब, और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन—ने इस निर्णय का विरोध किया है। उन्होंने 29 मार्च को भारत के प्रधान न्यायाधीश को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें न्यायमूर्ति शर्मा द्वारा दिल्ली में उच्च-प्रोफ़ाइल सिविल मामलों के निपटारे को लेकर “गंभीर शिकायतें” होने की बात कही गई है। इन संगठनों का कहना है कि इस तरह के तबादले न्यायपालिका की विश्वसनीयता को प्रभावित करते हैं, और उन्होंने इस पर पुनर्विचार की मांग की है।