भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (सी.जे.आई.) न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने सर्वोच्च न्यायालय के अनुशासन की वर्तमान स्थिति पर काफी असंतोष व्यक्त किया, तथा इसे “सबसे अनुशासनहीन” न्यायालय कहा, जिसे उन्होंने अब तक देखा है। न्यायमूर्ति गवई की निराशाएँ नई नहीं हैं, क्योंकि उन्होंने पिछले वर्ष भी इसी प्रकार की चिंताएँ व्यक्त की थीं।
बंबई, नागपुर तथा औरंगाबाद के उच्च न्यायालयों में अपने कार्यकाल के दौरान न्यायमूर्ति गवई ने सर्वोच्च न्यायालय की तुलना में अनुशासन के स्तर में एक बहुत बड़ा अंतर देखा। उन्होंने ऐसे दृश्यों का वर्णन किया, जहाँ वकील विभाजित थे तथा एक साथ चिल्ला रहे थे, जिसे उन्होंने उच्च न्यायालयों में कभी नहीं देखा।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा, “सर्वोच्च न्यायालय का आचरण उच्च न्यायालयों से बिल्कुल अलग है, जहाँ ऐसी अनुशासनहीनता देखने को नहीं मिलती।” पिछले वर्ष उन्होंने उन वकीलों के प्रति नाराज़गी व्यक्त की, जो लगातार कार्यवाही में बाधा डालते हैं, तथा संकेत दिया कि ऐसा व्यवहार देश के सर्वोच्च न्यायालय के लिए अनुचित है।
मई 2025 में जस्टिस गवई सीजेआई बनेंगे, जबकि मौजूदा सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना 13 मई 2025 को रिटायर हो जाएंगे। जस्टिस खन्ना ने पिछले साल नवंबर में जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ के रिटायर होने के बाद यह पद संभाला था।
इस नियुक्ति के साथ जस्टिस गवई दूसरे दलित सीजेआई बन जाएंगे। इससे पहले जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन 11 मई 2010 को रिटायर हुए थे।