जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने शाह कुल नामक ऐतिहासिक धारा पर अवैध अतिक्रमण करने के आरोप में 23 लोगों को नोटिस जारी किया है। यह धारा कभी मुगलकालीन निशात गार्डन की मुख्य जलापूर्ति का स्रोत हुआ करती थी।
मुख्य न्यायाधीश अरुण पाली और न्यायमूर्ति रजनीश ओसवाल की खंडपीठ ने यह आदेश उस जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें अवैध अतिक्रमण हटाकर नाले की मूल स्थिति बहाल करने की मांग की गई है। अदालत ने श्रीनगर के उपायुक्त के माध्यम से नोटिस तामील कराने का निर्देश दिया। सरकार की ओर से पेश वकील ने आश्वासन दिया कि सभी अतिक्रमणकारियों को निर्धारित समय के भीतर नोटिस तामील कराए जाएंगे। अदालत ने अधिकारियों को दो दिन के भीतर अनुपूरक अनुपालन रिपोर्ट में सूचीबद्ध अन्य अतिक्रमणकारियों का पूरा ब्यौरा प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि इस मामले में पहले दिए गए अंतरिम आदेश अगली सुनवाई तक जारी रहेंगे।

2023 में दाखिल इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि निजी व्यक्तियों ने बड़े पैमाने पर ऐतिहासिक नाले और उससे सटे रास्तों पर अवैध कब्जे कर लिए हैं। याचिका में सभी अतिक्रमण हटाकर नाले को उसकी मूल स्थिति में बहाल करने और निशात गार्डन तक पानी की आपूर्ति पुनः शुरू करने की मांग की गई है।
इसके साथ ही, याचिका में एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने का निर्देश मांगा गया है, जिसमें एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) और अन्य जांच एजेंसियों के अधिकारी शामिल हों। समिति से अधिकारियों की कथित लापरवाही और गड़बड़ियों की जांच कराने की अपील की गई है। साथ ही, मामले में शामिल सरकारी अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए सीबीआई (CBI) से भी जांच कराने की मांग की गई है।
शाह कुल नाला निशात गार्डन की जीवनरेखा माना जाता है और इसे श्रीनगर की मुगल धरोहर का प्रतीक समझा जाता है। संरक्षणकर्ताओं और स्थानीय निवासियों का कहना है कि नाले पर अतिक्रमण और उपेक्षा से शहर की सांस्कृतिक एवं पारिस्थितिक धरोहर खतरे में पड़ गई है।
अब अदालत में अगली सुनवाई नोटिस तामील होने के बाद होगी।