जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की फुल बेंच 25 पुस्तकों की जब्ती के खिलाफ याचिकाओं पर 4 दिसंबर को अंतिम सुनवाई करेगी

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की फुल बेंच ने सोमवार को उन याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के लिए 4 दिसंबर की तारीख तय की है, जिनमें केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा 25 पुस्तकों की जब्ती (forfeiture) के फैसले को चुनौती दी गई है। इनमें कश्मीर के इतिहास, राजनीति और संघर्ष पर लिखी गई कई चर्चित और प्रतिष्ठित पुस्तकों को शामिल किया गया है।

इन याचिकाओं को प्रभावित लेखकों और सार्वजनिक हस्तियों — जैसे वरिष्ठ पत्रकार व लेखक डेविड देवदास, भाकपा (माले) नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी और वायुसेना के सेवानिवृत्त वाइस मार्शल कपिल काक — ने दायर किया है। मुख्य न्यायाधीश राजनेश ओसवाल और न्यायमूर्ति शहज़ाद अज़ीम की विशेष पीठ ने सोमवार को नोटिस जारी करते हुए औपचारिक रूप से कार्यवाही शुरू कर दी।

याचिकाकर्ता के वकील सौतिक बनर्जी ने कहा,

“हाईकोर्ट की विशेष पीठ ने सोमवार को तुरंत नोटिस जारी किया, जो इस मामले की कार्यवाही शुरू होने का पहला कदम है। अदालत ने अब अंतिम सुनवाई और बहस के लिए 4 दिसंबर की तारीख तय की है।”

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अगस्त में जम्मू-कश्मीर सरकार के गृह विभाग ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagrika Suraksha Sanhita) की धारा 98 के तहत एक अधिसूचना जारी कर 25 पुस्तकों की जब्ती का आदेश दिया था। सरकार का कहना है कि इन प्रकाशनों में “झूठे आख्यान और अलगाववाद” को बढ़ावा दिया गया है।

इन पुस्तकों में प्रसिद्ध लेखकों, राजनीतिक वैज्ञानिकों और इतिहासकारों — जैसे ए.जी. नूरानी, अरुंधति रॉय, सुमंत्र बोस, सुगाता बोस, क्रिस्टोफर स्नेडन, विक्टोरिया स्कोफील्ड आदि — की रचनाएं शामिल हैं।

इससे पहले, सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने का निर्देश दिया था। इसके बाद 30 सितंबर को एक फुल बेंच का गठन किया गया था।

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जब्त की गई प्रमुख पुस्तकें

सूची में शामिल प्रमुख पुस्तकों में हैं:

  • The Kashmir Dispute: 1947–2012 — ए.जी. नूरानी
  • Contested Lands और Kashmir at Cross Roads — सुमंत्र बोस
  • In Search of a Future: The Story of Kashmir — डेविड देवदास
  • A Dismantled State: The Untold Story of Kashmir after Article 370 — अनुराधा भसीन
  • Kashmir and the Future of South Asia — सुगाता बोस और आयशा जलाल

अंतरराष्ट्रीय लेखकों की कई पुस्तकें भी जब्त की गई हैं, जैसे:

  • Colonizing Kashmir: State-building Under Indian Occupation — हफ़्सा कंजवाल
  • Resisting Occupation in Kashmir — हेले डुशिन्स्की व अन्य
  • Kashmir in Conflict — विक्टोरिया स्कोफील्ड
  • Independent Kashmir — क्रिस्टोफर स्नेडन
  • Law and Conflict Resolution in Kashmir तथा Human Rights Violations in Kashmir — पिओत्र बाल्सेरोविज़ और एग्निज़का कुज़ेव्स्का
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इसके अलावा, निम्नलिखित किताबें भी सूची में हैं:

  • Between Democracy & Nation: Gender and Militarisation in Kashmir — सीमा काज़ी
  • Do you Remember Kunan Poshpora? — एस्सर बतूल
  • Resisting Disappearance: Military Occupation and Women’s Activism in Kashmir — आथर ज़िया

सूची में जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक मौलाना अबुल अ’ला मौदूदी की अल जिहाद फिल इस्लाम और मुस्लिम ब्रदरहुड के संस्थापक हसन अल-बन्ना की मुजाहिद की अज़ान जैसी वैचारिक पुस्तकें भी शामिल हैं।

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