सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने वर्षों से निर्णय के इंतजार में पड़े 10 आपराधिक अपीलों पर एक सप्ताह के भीतर फैसला सुना दिया। इनमें 6 कैदी मौत की सजा पाए हुए थे, जिनकी अपीलों पर वर्षों पहले सुनवाई पूरी हो चुकी थी लेकिन निर्णय लंबित था।
14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इन कैदियों की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई और राज्य सरकार व झारखंड हाईकोर्ट से एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। 21 जुलाई को न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ को बताया गया कि हाईकोर्ट ने 16 से 18 जुलाई के बीच इन सभी मामलों में फैसले सुना दिए हैं।
महत्वपूर्ण फैसलों में आजीवन कारावास की सजा पाए अमित कुमार दास और बसंत कुमार महतो को बरी कर दिया गया। जहां दास को जेल से रिहा कर दिया गया, वहीं महतो अभी भी जेल में था क्योंकि उसका फैसला अपलोड नहीं हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि उसे ज़मानत बॉन्ड पर रिहा किया जाए।

एक अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए निर्मल भेंगरा की अपील 18 जुलाई को खारिज कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि अगर वह निजी वकील रखने की स्थिति में नहीं हैं, तो उन्हें कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाए ताकि वह आगे राहत के लिए याचिका दाखिल कर सकें।
इसी तरह, फांसी की सजा पाए नितेश साहू की अपील भी खारिज कर दी गई, और कोर्ट ने उसे भी विधिक सहायता मुहैया कराने का आदेश दिया।
मृत्युदंड पाए सनातन बास्की और सुखलाल मुर्मू के मामले में हाईकोर्ट ने अलग-अलग राय दी, जिस कारण मामला तीसरे जज को भेजा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के नव नियुक्त मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया कि वे इस मामले को शीघ्र सुनवाई के लिए खुद के समक्ष सूचीबद्ध करें।
तीन अन्य फांसी के दोषियों — गांधी उरांव, रोहित राय और बंधन उरांव — की अपीलें भी 18 जुलाई को खारिज कर दी गईं। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि उन्हें या तो शीर्ष अदालत में अपील या उपयुक्त प्राधिकरण के समक्ष दया याचिका दाखिल करने में सहायता दी जाए।
प्रतीक्षा में चल रहे एक अन्य मामले में आजीवन कारावास पाए प्रताप साहि की सजा पहले ही निलंबित की जा चुकी थी, लेकिन निर्णय लंबित था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में भी विधिक सहायता का निर्देश दिया।
इन दस में से नौ कैदी रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में बंद थे, जबकि एक कैदी दुमका जिला जेल में था।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों से उन मामलों की रिपोर्ट तलब की है जिनमें निर्णय वर्षों से लंबित हैं, जबकि सुनवाई पूरी हो चुकी है। अदालत ने कहा कि इस “गंभीर और चिंताजनक स्थिति” को रोकने के लिए वह उच्च न्यायालयों के लिए बाध्यकारी दिशानिर्देश तय करेगी। मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को निर्धारित की गई है।