झारखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्यभर की जेलों में रिक्त पदों पर की जा रही भर्तियों का विस्तृत ब्यौरा अदालत में पेश करे।
मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ राज्य की जेलों में बंदियों की स्थिति और मॉडल जेल मैनुअल के अनुपालन से जुड़ी एक स्वतः संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
पीठ ने राज्य सरकार को स्पष्ट रूप से यह बताने के लिए कहा कि जेल विभाग में विभिन्न श्रेणियों के रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया किस चरण में है। अदालत ने जोर देकर कहा कि इन पदों पर नियुक्ति में अनावश्यक विलंब न किया जाए और भर्ती शीघ्र पूरी की जाए।

राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि विभिन्न पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है। सहायक जेल अधीक्षक, वार्डर और चिकित्सा नर्सिंग स्टाफ की नियुक्ति के लिए झारखंड स्टाफ चयन आयोग (JSSC) को अधियाचन भेजा गया है।
सरकारी वकील ने अदालत को सूचित किया कि आयोग ने इन पदों के लिए योग्य अभ्यर्थियों से आवेदन आमंत्रित करने के लिए विज्ञापन जारी कर दिए हैं।
झारखंड हाईकोर्ट ने यह जनहित याचिका वर्ष 2015 में स्वतः संज्ञान के आधार पर शुरू की थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाईकोर्टों को अपने-अपने राज्यों में जेलों की स्थिति की निगरानी करने के निर्देश दिए थे।
सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया था कि सहायक जेल अधीक्षक, वार्डर, कंप्यूटर ऑपरेटर और चिकित्सा अधिकारियों सहित कई पद लंबे समय से खाली पड़े हैं, जिससे जेलों के प्रशासन और बंदियों के कल्याण पर असर पड़ रहा है। अदालत ने सरकार को इन रिक्तियों को शीघ्र भरने के निर्देश दिए थे।
अब अदालत ने सरकार से भर्ती प्रक्रिया पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। रिपोर्ट आने के बाद मामले की अगली सुनवाई होगी।