झारखंड हाईकोर्ट ने सोमवार को रांची स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS) परिसर में मौजूद ‘कैलाश कोठी’ के ध्वस्तीकरण पर पहले से लगी अंतरिम रोक को आगे बढ़ा दिया। अदालत ने साथ ही जिला प्रशासन को संपत्ति के स्वामित्व से जुड़े दस्तावेजों की जांच करने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश तारलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ, ‘कैलाश कोठी’ पर स्वामित्व का दावा करने वाली खुशबू सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता ने जिला प्रशासन द्वारा जारी बेदखली और ध्वस्तीकरण नोटिस को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था।
जिला प्रशासन, हाईकोर्ट के पूर्व आदेशों के अनुपालन में रिम्स परिसर से अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चला रहा है। इसी क्रम में ‘कैलाश कोठी’ को भी अतिक्रमण मानते हुए हटाने की कार्रवाई की जा रही थी। इससे पहले, 3 दिसंबर को हाईकोर्ट ने रिम्स परिसर से सभी अतिक्रमण 72 घंटे के भीतर हटाने का निर्देश दिया था।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत कर यह दावा किया कि ‘कैलाश कोठी’ उनकी निजी संपत्ति है और इसे कभी भी रिम्स द्वारा अधिग्रहित नहीं किया गया। इन दावों को देखते हुए अदालत ने उपायुक्त को निर्देश दिया कि वे प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच करें।
इसके अलावा, हाईकोर्ट ने उपायुक्त को मोराबादी मौजा के प्लॉट नंबर 1,694 से संबंधित गजट अधिसूचना भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने को कहा, जिस पर कथित रूप से ‘कैलाश कोठी’ का निर्माण किया गया है।
दस्तावेजों की जांच और रिकॉर्ड प्रस्तुत किए जाने तक, अदालत ने ‘कैलाश कोठी’ के ध्वस्तीकरण पर लगी रोक को जारी रखने का आदेश दिया है।

