झारखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को 2013 में पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलीहार और पांच अन्य पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए दो माओवादियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।
न्यायमूर्ति गौतम कुमार चौधरी ने प्रवीर मुर्मू और संतन बास्के की अपीलों पर सुनवाई करते हुए दुमका सत्र न्यायालय द्वारा 26 सितंबर 2018 को दी गई मृत्युदंड की सजा को कम कर दिया। दोनों दोषियों ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
यह मामला तब एकल पीठ के पास आया जब हाईकोर्ट की द्वैध पीठ ने 20 जुलाई को अलग-अलग राय दी थी। न्यायमूर्ति रोंगन मुखोपाध्याय ने साक्ष्यों की कमी का हवाला देते हुए दोनों को बरी करने का पक्ष लिया था, जबकि न्यायमूर्ति संजय प्रसाद ने मृत्युदंड को बरकरार रखा था। इसके बाद मामला अंतिम निर्णय के लिए न्यायमूर्ति चौधरी को सौंपा गया।
रिकॉर्ड का विस्तृत अध्ययन करने के बाद न्यायमूर्ति चौधरी ने कहा कि घायल पुलिसकर्मियों की गवाही, जो घटना के प्रत्यक्षदर्शी थे, से दोनों दोषियों की संलिप्तता सिद्ध होती है। अदालत ने यह भी कहा कि यह घटना समाज में स्थापित विधिक व्यवस्था पर सीधा प्रहार थी, इसलिए दोषसिद्धि पर कोई संदेह नहीं है। लेकिन मृत्युदंड के स्थान पर उम्रकैद उपयुक्त सजा होगी।
घटना 2 जुलाई 2013 की है, जब बलीहार और उनकी टीम पर माओवादियों ने घात लगाकर हमला किया था। माओवादियों ने दो पुलिस वाहनों पर अंधाधुंध फायरिंग की थी, जिसमें एसपी बलीहार के साथ राजीव कुमार शर्मा, मनोज हेम्ब्रम, चंदन कुमार थापा, अशोक कुमार श्रीवास्तव और संतोष कुमार मंडल की मौत हो गई थी। लेबेनियस मरांडी और धनराज मरैया इस हमले में बच गए थे।

