दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि वह कांग्रेस नेताओं पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम की INX मीडिया केस से संबंधित याचिकाओं पर 28 अप्रैल को ही सुनवाई करेगी और इससे पहले सुनवाई की किसी मांग को स्वीकार नहीं किया जाएगा। न्यायमूर्ति रविंदर दुडेजा ने कहा कि पहले से तय तारीख से पहले सुनवाई मुमकिन नहीं है।
सुनवाई के दौरान चिदंबरम परिवार के वकीलों ने इस बात पर चिंता जताई कि ट्रायल कोर्ट में 22 अप्रैल को आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू होनी है, जिससे हाईकोर्ट में दायर उनकी याचिकाएं निष्फल हो सकती हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा और अधिवक्ता अक्षत गुप्ता ने दलील दी कि CBI की जांच अब भी अधूरी है, ऐसे में आरोप तय करने पर बहस करना न्यायसंगत नहीं होगा।
हाईकोर्ट का यह फैसला उस समय आया जब उसने मामले की प्रकृति का अवलोकन किया, जिसमें यह आरोप है कि वर्ष 2007 में पी. चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते हुए INX मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB) की मंजूरी में अनियमितताएं हुईं। CBI का आरोप है कि इसके एवज में 305 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग दिलवाने के लिए रिश्वत दी गई।

CBI की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं, और यह तथ्य कि जांच अब भी चल रही है, इस प्रक्रिया में बाधा नहीं होनी चाहिए।
हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिकाओं में चिदंबरम पिता-पुत्र ने ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोप तय करने की कार्यवाही को स्थगित न करने के निर्णय को चुनौती दी है। उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन बताया। साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कथित अपराध को वर्षों बीत चुके हैं और जांच भी लगभग सात वर्षों से लंबित है।
गौरतलब है कि पी. चिदंबरम को इस भ्रष्टाचार मामले में अगस्त 2019 में गिरफ्तार किया गया था और बाद में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग केस में भी हिरासत में लिया गया था। दोनों मामलों में उन्हें 2019 के अंत तक जमानत मिल गई थी। वहीं, कार्ति चिदंबरम को फरवरी 2018 में गिरफ्तार किया गया था और एक माह बाद जमानत मिली थी।