सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इंडिगो एयरलाइंस की उड़ानों के बड़े पैमाने पर रद्द होने और उससे उत्पन्न अराजकता के मामले में तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार इस संकट से पूरी तरह अवगत है और स्थिति को संभालने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है।
प्रधान न्यायाधीश (CJI) सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ ने मामले की गंभीरता को स्वीकार किया। कोर्ट ने माना कि देश भर में लाखों यात्री हवाई अड्डों पर फंसे हुए हैं, लेकिन साथ ही कार्यपालिका (सरकार) द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर भरोसा भी जताया।
याचिका पर टिप्पणी करते हुए सीजेआई कांत ने कहा, “यह एक गंभीर मामला है। लाखों लोग हवाई अड्डों पर फंसे हुए हैं। हम जानते हैं कि भारत सरकार ने इस मुद्दे पर समय रहते संज्ञान लिया है और कार्रवाई कर रही है। हम यह भी समझते हैं कि लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और अन्य जरूरी काम हो सकते हैं।”
इस मामले को एक वकील द्वारा तत्काल सूचीबद्ध करने (Urgent Listing) के लिए मेंशन किया गया था। वकील ने बिना पूर्व सूचना के अचानक उड़ानें रद्द होने से यात्रियों को हो रही भारी असुविधा पर कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने दलील दी कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो चुकी है, पिछले कुछ दिनों में लगभग 2,500 उड़ानें विलंबित हुई हैं और देश भर के 95 हवाई अड्डों पर परिचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
वकील ने कोर्ट को बताया, “यात्रियों को रद्दीकरण के बारे में सूचित तक नहीं किया जा रहा है,” जिससे यात्रियों में भ्रम और परेशानी का माहौल है। इन दलीलों के बावजूद, कोर्ट ने यह कहते हुए हस्तक्षेप से मना कर दिया कि चूंकि केंद्र सरकार पहले से ही इस मुद्दे को गंभीरता से देख रही है, इसलिए इस चरण में तत्काल न्यायिक आदेश की आवश्यकता नहीं है।
2 दिसंबर से शुरू हुआ यह संकट सोमवार को सातवें दिन भी जारी रहा और इसमें सुधार के कोई तत्काल संकेत नहीं दिखे। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो को यात्रियों और नियामक अधिकारियों दोनों की ओर से भारी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। एयरलाइन ने पायलटों की ड्यूटी और नियमों में हुए नियामक बदलावों (Regulatory Changes) को इस परिचालन संकट का मुख्य कारण बताया है।
सूत्रों के अनुसार, अकेले सोमवार को प्रमुख केंद्रों पर 250 से अधिक इंडिगो उड़ानें रद्द की गईं:
- दिल्ली एयरपोर्ट: कुल 134 उड़ानें रद्द (75 प्रस्थान और 59 आगमन)।
- बेंगलुरु एयरपोर्ट: 117 सेवाएं रद्द (65 आगमन और 62 प्रस्थान)।
लगातार जारी इस व्यवधान के कारण टर्मिनलों पर हजारों यात्री फंसे हुए हैं, जिससे नेटवर्क भर में चेक-इन काउंटरों पर तीखी नोकझोंक और अराजकता का माहौल है। भले ही सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सरकार को स्थिति संभालने का मौका देते हुए कदम पीछे खींच लिए हैं, लेकिन नागरिक उड्डयन मंत्रालय और एयरलाइन पर जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने का भारी दबाव बना हुआ है।

