पात्रता को प्रभावित न करने वाली गलत जानकारी देना नियुक्ति रद्द करने का आधार नहीं हो सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी उम्मीदवार द्वारा दी गई गलत जानकारी उसकी परीक्षा में बैठने की पात्रता को प्रभावित नहीं करती है, तो उसकी नियुक्ति रद्द करने का आधार नहीं बन सकती। कोर्ट ने श्याम नंदन मेहता द्वारा दायर अपील स्वीकार करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें उनकी मध्यवर्ती प्रशिक्षित सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति को अवैध घोषित किया गया था।

यह निर्णय जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने सिविल अपील arising out of SLP(C) No. 7418 of 2022 [श्याम नंदन मेहता बनाम संतोष कुमार एवं अन्य] में सुनाया।

पृष्ठभूमि

यह मामला पलामू जिले में सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति से संबंधित था, जो विज्ञापन संख्या 03/पलामू/2015 दिनांक 4 जुलाई 2015 के तहत निकाली गई थी। श्याम नंदन मेहता (अपीलकर्ता) ने चयन प्रक्रिया में 68.125 अंक प्राप्त किए थे, जबकि संतोष कुमार (याचिकाकर्ता/प्रथम प्रतिवादी) ने 65.496 अंक प्राप्त किए थे। तदनुसार, अपीलकर्ता को सफल घोषित कर नियुक्त किया गया था।

नियुक्ति के लगभग दो वर्ष बाद, संतोष कुमार ने एक रिट याचिका दायर कर आरोप लगाया कि अपीलकर्ता ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) प्रमाणपत्र में गलत तरीके से स्वयं को अत्यंत पिछड़ा वर्ग (MBC) श्रेणी का घोषित किया था, जबकि चयन प्रक्रिया में पिछड़ा वर्ग (BC) श्रेणी के तहत आवेदन किया था।

पक्षकारों के तर्क

अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि उनके द्वारा TET प्रमाणपत्र में ‘MBC’ श्रेणी का उल्लेख अनजाने में हुआ था, जो राज्य सरकार द्वारा पिछड़ा वर्ग (OBC) को BC और MBC में विभाजित करने के कारण हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान उन्होंने सही तरीके से अपनी जाति BC घोषित की थी और याचिकाकर्ता से अधिक अंक प्राप्त किए थे।

अपीलकर्ता ने यह भी जोर दिया कि TET प्रमाणपत्र केवल शिक्षक पदों के लिए पात्रता प्रमाणित करने के लिए है, न कि आरक्षण लाभ तय करने के लिए। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि इस त्रुटि से उन्हें कोई अनुचित लाभ नहीं मिला।

वहीं, प्रथम प्रतिवादी (याचिकाकर्ता) ने तर्क दिया कि अपीलकर्ता ने विभिन्न अवसरों पर अलग-अलग श्रेणी घोषित कर चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी की। झारखंड अकादमिक परिषद (JAC) ने भी समर्थन करते हुए कहा कि एक बार किसी श्रेणी के तहत TET प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद उसे बिना सुधार के बदला नहीं जा सकता।

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न्यायालय का विश्लेषण

सुप्रीम कोर्ट ने मूल रिकॉर्ड का परीक्षण करते हुए पाया कि अपीलकर्ता के तीन टीईटी प्रमाणपत्रों में से दो में श्रेणी ‘MBC’ और एक में ‘BC’ दर्ज है, जबकि जाति प्रमाणपत्र (दिनांक 14 दिसंबर 2013) में अपीलकर्ता को BC श्रेणी का सदस्य बताया गया है।

पीठ ने कहा:

“यह मामला ऐसा नहीं है जहां भर्ती एजेंसी या JAC द्वारा यह आरोप लगाया गया हो कि अपीलकर्ता ने धोखाधड़ी से अपनी जाति की स्थिति ‘MBC’ घोषित की हो, जबकि वास्तव में वह ‘BC’ वर्ग से था।”

कोर्ट ने विशेष रूप से यह भी अवलोकन किया:

“यदि कोई गलत जानकारी दी जाती है तो भर्ती एजेंसी को उसके विरुद्ध कार्रवाई करने का अधिकार है। किन्तु, यदि वह जानकारी उम्मीदवार की परीक्षा में बैठने की पात्रता को प्रभावित नहीं करती है, तो उसे याचिका स्वीकार करने का आधार नहीं बनाया जा सकता।”

कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि BC और MBC दोनों श्रेणियों के लिए उस वर्ष TET परीक्षा में समान कटऑफ अंक निर्धारित थे तथा अपीलकर्ता ने कोई अतिरिक्त लाभ या छूट प्राप्त नहीं की थी।

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निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि हाईकोर्ट ने अपीलकर्ता की नियुक्ति को गलत तरीके से रद्द किया। कोर्ट ने कहा:

“हमारे विचार में, हाईकोर्ट द्वारा अपीलकर्ता की नियुक्ति को निरस्त करना त्रुटिपूर्ण है। अतः अपील स्वीकृत की जाती है और हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया जाता है।”

कोर्ट ने पक्षकारों पर कोई लागत (cost) नहीं लगाई।

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